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वायरस और बैक्टीरिया के नए प्रकार की पहचान में बड़ी सफलता

by kishanchaubey
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Virus Variants: शोधकर्ताओं ने संक्रामक बीमारियों जैसे फ्लू, कोविड-19, काली खांसी और टीबी (तपेदिक) फैलाने वाले वायरस और बैक्टीरिया के नए और अधिक खतरनाक प्रकारों की पहचान करने का एक नया तरीका विकसित किया है। यह तकनीक न केवल इन खतरनाक वेरिएंट्स की पहचान करती है, बल्कि आबादी में इनके प्रसार की निगरानी भी करती है।

कैसे काम करती है यह नई तकनीक?

यह तकनीक संक्रमित लोगों के नमूनों का विश्लेषण करती है और आनुवंशिक अनुक्रमण (Genetic Sequencing) का उपयोग करती है। यह प्रक्रिया रोगजनक के आनुवंशिक बदलावों को ट्रैक करती है और यह समझने में मदद करती है कि ये बदलाव कैसे और क्यों तेजी से फैलते हैं।

  • यह प्रणाली वैक्सीन से बच निकलने वाले रोगजनकों की पहचान तेजी से कर सकती है।
  • एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधक वेरिएंट को जल्द पहचानकर इलाज के बेहतर विकल्प सुझाए जा सकते हैं।
  • केवल कुछ संक्रमित नमूनों से ही पूरे समुदाय में बीमारी फैलाने वाले वेरिएंट्स का पता लगाया जा सकता है।

नई तकनीक की विशेषताएं और उपयोगिता

  1. तेजी से पहचान:
    यह तकनीक ‘फैमिली ट्री’ जैसी संरचना बनाकर खुद से तय करती है कि कौन सा वेरिएंट सबसे अधिक खतरनाक है। इसके लिए विशेषज्ञों की अलग से आवश्यकता नहीं पड़ती।
  2. कम संसाधन में उपयोगी:
    यह विधि उन क्षेत्रों के लिए खासतौर पर फायदेमंद है जहां चिकित्सा संसाधन सीमित हैं।
  3. अत्यधिक प्रभावी निगरानी:
    कोविड-19 और इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों पर नजर रखने के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है।

काली खांसी और टीबी पर अध्ययन

शोधकर्ताओं ने इस तकनीक का उपयोग बोर्डेटेला पर्टुसिस बैक्टीरिया (जो काली खांसी का कारण बनता है) और माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस (टीबी का कारण) पर किया।

  • काली खांसी:
    अध्ययन में पता चला कि आबादी में तीन नए प्रकार के बैक्टीरिया फैल रहे हैं, जिनकी पहचान पहले नहीं की गई थी।
  • टीबी:
    एंटीबायोटिक प्रतिरोधी दो नए प्रकारों का पता चला, जो तेजी से फैल रहे हैं। इससे टीबी के मरीजों के इलाज में बड़ा बदलाव किया जा सकता है।

वैक्सीन विकास में मदद

यह तकनीक न केवल वेरिएंट्स की पहचान करती है, बल्कि यह भी बताती है कि कौन सा प्रकार सबसे अधिक खतरनाक है। इससे वैज्ञानिक विशेष वेरिएंट्स के खिलाफ प्रभावी टीके और दवाएं विकसित कर सकते हैं।

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स्वास्थ्य संकट के लिए एक नई उम्मीद

नेचर जर्नल में प्रकाशित इस शोध के अनुसार, यदि किसी वेरिएंट का तेजी से फैलाव होता है, तो उसके अनुसार एंटीबायोटिक या वैक्सीन में बदलाव कर तुरंत प्रभावी कदम उठाए जा सकते हैं।

आने वाले समय में बदलाव

यह तकनीक संक्रामक रोगों के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इससे बीमारी को फैलने से पहले ही रोकने और इलाज के बेहतर तरीकों को लागू करने का रास्ता खुलेगा।

संक्रामक रोगों की निगरानी की जरूरत क्यों?

  • नई बीमारियों और उनके खतरनाक वेरिएंट्स को जल्दी पहचानने के लिए।
  • प्रभावी टीकाकरण और एंटीबायोटिक प्रतिरोध को नियंत्रित करने के लिए।
  • आबादी को गंभीर स्वास्थ्य संकटों से बचाने के लिए।

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