West Bengal Tiger: पश्चिम बंगाल में झारखंड से एक और बाघ के प्रवेश के बाद राज्य की वन मंत्री बिरबाहा हांसदा ने रविवार को स्पष्ट कर दिया कि इस बाघ को पकड़े जाने के बाद वापस नहीं लौटाया जाएगा।
यह घटना तब सामने आई है जब हाल ही में बाघिन ज़ीनत ने ओडिशा के सिमिलिपाल टाइगर रिज़र्व से भटकते हुए पश्चिम बंगाल के पांच जिलों में दहशत फैलाई थी। इस मामले ने ओडिशा और पश्चिम बंगाल की सरकारों के बीच वाद-विवाद का रूप ले लिया था।
बाघ का प्रवेश और वन मंत्री का बयान
वन मंत्री बिरबाहा हांसदा ने कहा:
“यह बाघ झारखंड से आया है और झाड़ग्राम में प्रवेश कर चुका है। हमारे वन विभाग के अधिकारी सतर्क हैं और इलाके में तैनात किए गए हैं। यह दिखाता है कि हमारे जंगल बाघों के लिए उपयुक्त हैं और यहां शिकार की भी पर्याप्त व्यवस्था है। इसलिए बाघ हमारे जंगलों में आ रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा:
“इस बाघ पर कोई रेडियो कॉलर नहीं है, जिससे यह पता लगाना मुश्किल है कि यह किस इलाके का है। इसे पकड़ने के बाद हम इसे वापस नहीं करेंगे।”
बाघ का स्थान और वन विभाग की कार्रवाई
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बाघ के ताजा पगचिन्ह झाड़ग्राम के बांसपहाड़ी इलाके में पाए गए हैं।
- यह बाघ पहले पुरुलिया और झाड़ग्राम के सीमावर्ती इलाकों में देखा गया था।
- वन विभाग के सुंदरबन टाइगर रिज़र्व से विशेषज्ञ टीम को बुलाया गया है।
- बाघ का पता लगाने के लिए कैमरा ट्रैप लगाए जा रहे हैं।
रेडियो कॉलर की अनुपस्थिति से बढ़ी मुश्किलें
विशेषज्ञों का कहना है कि इस बाघ पर रेडियो कॉलर न होने के कारण इसे ट्रैक करना मुश्किल हो रहा है।
“ज़ीनत की तरह इस बाघ को ट्रैक करना चुनौतीपूर्ण है क्योंकि ज़ीनत पर रेडियो कॉलर था, लेकिन इस बाघ पर नहीं है,” वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा।
झारखंड से बंगाल तक बाघ का सफर
- जनवरी के पहले हफ्ते में झारखंड के खूंटी जिले के चौका इलाके में इस बाघ को देखा गया था।
- इसके बाद यह बाघ डलमा वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी पहुंचा और वहां से पुरुलिया होते हुए झाड़ग्राम के बांसपहाड़ी में दाखिल हुआ।
ज़ीनत बाघिन का मामला और राज्यों के बीच विवाद
पिछले महीने तीन साल की बाघिन ज़ीनत ने ओडिशा से बंगाल में आकर 300 किमी का सफर तय किया था। उसे 29 दिसंबर को पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले में पकड़ा गया और 1 जनवरी को वापस सिमिलिपाल ले जाया गया।
- इस पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ओडिशा सरकार पर नाराजगी जताते हुए कहा:
“ज़ीनत ने हमारे राज्य में दहशत फैलाई। लोग घर से बाहर नहीं निकल पा रहे थे। स्कूल बंद करने पड़े। बाद में वे कहते हैं कि बाघ वापस कर दो। अगर आपके पास पर्याप्त जगह नहीं है, तो हमें बता दीजिए। हम बाघ को अपने रिज़र्व में हमेशा के लिए रख लेंगे।”
- इसके जवाब में ओडिशा के वन और पर्यावरण मंत्री गणेश राम सिंहखुन्टिया ने ममता बनर्जी के बयान को “राजनीतिक” करार दिया। उन्होंने कहा:
“यह कहना कि ओडिशा में पर्याप्त जंगल नहीं हैं, उनकी अज्ञानता को दर्शाता है। हमारे राज्य का 39% हिस्सा जंगलों से ढका है।”
बाघ संरक्षण और राज्य की जिम्मेदारी
वन मंत्री बिरबाहा हांसदा ने बंगाल के जंगलों को बाघों के लिए उपयुक्त बताते हुए कहा कि यहां पर्यावरण और भोजन की पूरी व्यवस्था है। राज्य का वन विभाग बाघ की सुरक्षा और ट्रैकिंग के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।