Water Pollution : कर्नाटक की नदियों में जल गुणवत्ता की जांच से यह सामने आया है कि 2022 से 2023 के बीच नदियों के प्रदूषण हॉटस्पॉट्स में वृद्धि हुई है। 2022 में केंद्रीय जल आयोग (CWC) ने नदियों में प्रदूषण हॉटस्पॉट्स की पहचान की थी, जिनमें कुल और मल-कोलिफॉर्म बैक्टीरिया, घुलित ऑक्सीजन का कम स्तर, और नाइट्रेट प्रदूषण के उच्च मानक शामिल थे।
जब इन हॉटस्पॉट्स की 2023 में फिर से जांच की गई, तो पाया गया कि 2022 में कुल कोलिफॉर्म बैक्टीरिया के उच्च स्तर वाले 32 में से 28 हॉटस्पॉट्स और अधिक बिगड़ गए थे। इसके अलावा, 29 हॉटस्पॉट्स में से 24 पर मल-कोलिफॉर्म बैक्टीरिया के खतरनाक स्तर में कमी आई थी।
कर्नाटका की कई नदियाँ जिनकी जल गुणवत्ता में गिरावट आई है, उनमें आर्कवती, हेमाvथी, कावेरी, कृष्णा, तुंगा, भद्र, सुवर्णवती, हरिद्रा, मलाप्रभा, घाटप्रभा, तुंगभद्रा, कुमुदवती, हेमावती, कंगना, काबिनी, शिम्सा आदि शामिल हैं।
आर्कवती नदी का जल गुणवत्ता संकट
आर्कवती नदी के टी बेकप्पु क्षेत्र में घुलित ऑक्सीजन के कम स्तर और कुल कोलिफॉर्म (661200 MPN/100ml) के उच्च स्तर की पहचान की गई थी, जिसके कारण जैविक ऑक्सीजन की मांग (BOD) और मल-कोलिफॉर्म की उच्च स्तर की उपस्थिति पाई गई।
यह विश्लेषण राज्य भर के 46 जल गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों पर किया गया था।
घुलित ऑक्सीजन (DO) स्तरों में कमी
2023 में कर्नाटका के विभिन्न जल गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों से प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि नदी जल में घुलित ऑक्सीजन (DO) का स्तर खतरनाक रूप से गिरा है, जिससे बाहरी स्नान के लिए पानी का उपयोग करना जोखिमपूर्ण हो सकता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, सुरक्षित बाहरी स्नान के लिए 5.0 mg/l का न्यूनतम DO स्तर आवश्यक होता है। हालांकि, निगरानी स्टेशनों से प्राप्त डेटा में दिखाया गया है कि विभिन्न मौसमों में औसत DO स्तर इस सीमा से नीचे गिर गया।
2022 और 2023 के बीच की तुलना से यह स्पष्ट हुआ कि नदियों में पर्याप्त DO स्तर बनाए रखने में लगातार चुनौतियाँ बनी हुई हैं। आर्कवती नदी के कुछ क्षेत्रों में DO स्तर कम पाए गए हैं।
कोलिफॉर्म बैक्टीरिया का बढ़ता खतरा
2023 के दौरान भारत की नदियों में कुल कोलिफॉर्म (TC) बैक्टीरिया के उच्च स्तर की समस्या सामने आई। यह माइक्रोबियल प्रदूषण और स्वास्थ्य जोखिमों का संकेत है। कर्नाटका की यगाची, काबिनी, शिम्सा, आर्कवती, तुंगा, हेमावती, भद्र, और कावेरी जैसी नदियों में उच्च कोलिफॉर्म बैक्टीरिया का स्तर पाया गया।
इसके अलावा, मल-कोलिफॉर्म बैक्टीरिया के उच्च स्तर की पहचान यगाची, हगारी, काबिनी, शिम्सा, आर्कवती, तुंगा, हेमावती, भद्र, कृष्णा, कावेरी आदि नदियों में की गई। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि यह प्रदूषण मानव गतिविधियों, कृषि से निकलने वाले रसायन, और अपर्याप्त सैनिटेशन ढांचे का परिणाम है, जो विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में फैल चुका है।
नदी प्रदूषण पर गंभीर ध्यान देने की आवश्यकता
कर्नाटका की नदियों में बढ़ते प्रदूषण का असर न केवल जल गुणवत्ता पर पड़ रहा है, बल्कि यह स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बन गया है। जल गुणवत्ता को सुधारने और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। राज्य सरकार और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्रदूषण स्तरों को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी योजनाएं बनानी होंगी ताकि नदियों में जल गुणवत्ता बहाल हो सके और पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर इसके नकारात्मक प्रभावों को रोका जा सके।