Sariska Tiger Reserve : राजस्थान के दौसा जिले में सरिस्का टाइगर रिजर्व से भटके एक बाघ ने तीन लोगों पर हमला कर दिया, जिससे वे घायल हो गए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में सरिस्का से चार बाघ, खासकर नर बाघ, रिजर्व से बाहर चले गए हैं। वर्तमान में सरिस्का में 42 बाघ हैं।
बाघों का प्रवास
आमतौर पर नर बाघ अपने जन्मस्थान से दूर जाकर नई जगह पर अपना इलाका स्थापित करते हैं, जबकि मादा बाघ अपने जन्मस्थान के आसपास ही अपना क्षेत्र बनाती हैं।
सरिस्का का भूगोल और ऐतिहासिक महत्व
सरिस्का राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है। यह इलाका प्राचीन काल से ही बाघों के लिए मशहूर रहा है। राजस्थान जिला गजेटियर: अलवर (1968) में लेखक माया राम ने लिखा है कि,
“अलवर के जंगल प्राचीन काल से ही वन्य जीवों के लिए प्रसिद्ध हैं। यह इलाका मुगलों का पसंदीदा शिकार स्थल था। अकबर और जहांगीर यहां बाघ और पैंथर का शिकार करने आए थे।”
अलवर का भौगोलिक क्षेत्र इसे बाघों के लिए अनुकूल बनाता है। यह मुख्यतः पहाड़ी इलाका है, जिसके बीच उपजाऊ घाटियां और ऊंचे पठार हैं। ये इलाके घने जंगलों से ढके हुए हैं, जो बाघों, सूअर, सांभर, नीलगाय, और अन्य वन्य जीवों का घर हैं।
उपनिवेशकालीन संदर्भ
गजेटियर ऑफ उलवर (1878) के लेखक कर्नल पर्सी विलियम पाउलेट ने भी अलवर को बाघों का पसंदीदा स्थान बताया। उन्होंने लिखा,
“अलवर के पहाड़ी इलाकों में बाघ बहुतायत में पाए जाते हैं। हर साल इन्हें स्थानीय राजा और यूरोपीय शिकारी कुछ मीलों के क्षेत्र में मारते हैं।”
पाउलेट ने पैंथर, सांभर, जंगली सूअर और भेड़ियों जैसे अन्य जानवरों की उपस्थिति का भी उल्लेख किया।
अलवर के महाराजा और बाघ शिकार
अलवर राज्य की स्थापना 18वीं शताब्दी में हुई थी, जब मुगल साम्राज्य का पतन शुरू हो गया था। अलवर के अंतिम महाराजाओं में से एक, जय सिंह, अपने बाघ शिकार के जुनून के लिए प्रसिद्ध थे।
वेस्टली रिचर्ड्स वेबसाइट के अनुसार,
“जय सिंह जंगल में शिकार और बाघों का सामना करने में निपुण थे। वे बिना डर के झाड़ियों में घायल बाघों का पीछा करते थे।”
हालांकि, उनके शिकार और शाही जीवनशैली पर अत्यधिक खर्च करने के कारण अंततः उनका पतन हो गया।
सरिस्का और बाघ संरक्षण
सरिस्का टाइगर रिजर्व भारत में बाघ संरक्षण के प्रमुख स्थलों में से एक है। हालांकि, बाघों का रिजर्व से बाहर जाना और मानव-वन्यजीव संघर्ष चिंता का विषय है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे संघर्षों को रोकने के लिए बाघों के प्राकृतिक आवास को संरक्षित करना और सुरक्षित गलियारे बनाना जरूरी है।
सरिस्का जैसे अभयारण्यों का संरक्षण बाघों और अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही, मानव और वन्यजीवों के बीच संतुलन बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।