environmentalstory

Home » गाज़ियाबाद: यमुना नदी के पास अवैध सड़क निर्माण से नदी के प्रवाह पर संकट

गाज़ियाबाद: यमुना नदी के पास अवैध सड़क निर्माण से नदी के प्रवाह पर संकट

by kishanchaubey
0 comment

Yamuna River : गाज़ियाबाद और दिल्ली के बीच लोनी के पास यमुना नदी के मोड़ पर बनाई जा रही अवैध सड़क का निर्माण इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की नोटिस के बाद रोक दिया गया, लेकिन निर्माण में उपयोग किए गए सैकड़ों सैंडबैग अब भी नदी तल पर पड़े हुए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन सैंडबैग्स की लंबी अवधि तक मौजूदगी से नदी के प्रवाह में रुकावट हो सकती है, जिससे नदी के कुछ हिस्सों में सूखा या प्रवाह का रुख बदल सकता है।

सड़क निर्माण का उद्देश्य

यह सड़क क्षेत्र में रेत खनन के लिए पट्टाधारक द्वारा बनाई जा रही थी। निर्माण के लिए लकड़ी के तख्तों को नदी तल पर बांधकर उनमें सैंडबैग और रेत भरी जा रही थी ताकि इसे सामान्य जमीन जैसा दिखाया जा सके। नवंबर में एक रिपोर्ट में बताया गया था कि खननकर्ता इस सड़क का उपयोग खुदाई के लिए भारी मशीनें यमुना पार ले जाने के लिए कर रहे थे।

अवैध खनन का पुराना खेल

वर्षों से यमुना बाढ़ क्षेत्र में रेत खनन के पट्टों की आड़ में बड़े पैमाने पर खनन किया जा रहा है। यह खनन निर्माण क्षेत्र की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए हो रहा है, लेकिन इसका पर्यावरण और नदी पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।

NGT ने लिया संज्ञान

16 दिसंबर को NGT ने इस अवैध सड़क निर्माण पर स्वत: संज्ञान लिया। इसके बाद केंद्र सरकार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों, और गाज़ियाबाद व दिल्ली के जिलाधिकारियों से जवाब मांगा। NGT के अध्यक्ष प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल ने गाज़ियाबाद और उत्तर दिल्ली के डीएम, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय, और उत्तर प्रदेश व दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस मामले में पक्षकार बनाया।

banner

स्थानीय किसानों की चिंता

तेड़ी दौलतपुर में नदी किनारे कृषि भूमि रखने वाले प्रदीप त्यागी, जो चार साल से सैंडबैग्स की तस्वीरें ले रहे हैं, ने कहा, “रिपोर्ट के बाद निर्माण कार्य तो रुक गया, लेकिन सैंडबैग अभी भी नदी के प्रवाह को प्रभावित कर रहे हैं। हमें चिंता है कि अगर नदी का प्रवाह हमारे खेतों की ओर मुड़ गया, तो हमारी खेती पर बुरा असर पड़ेगा।”

पर्यावरण विशेषज्ञों की राय

पर्यावरण और जल विशेषज्ञ प्रणब जे. पातर ने कहा, “नदी तल में किसी भी प्रकार का बदलाव पानी की गुणवत्ता, जैव विविधता और नदी की संरचना पर दीर्घकालिक असर डालता है। सैंडबैग्स से नदी का प्राकृतिक प्रवाह बाधित होता है, जिससे कटाव, बाढ़ और जलीय जीवों को खतरा होता है।” उन्होंने कहा कि सैंडबैग्स को तुरंत हटा देना चाहिए, खासकर जब नदी का पानी कम हो और तल सूखा हो।

प्रशासन का रुख

गाज़ियाबाद के खनन अधिकारी सौरव चतुर्वेदी ने कहा, “सैंडबैग्स तब हटाए जाएंगे जब नदी का प्रवाह बदल जाएगा और क्षेत्र सूखा हो जाएगा। फिलहाल, यह पता नहीं है कि कितने सैंडबैग्स लगाए गए हैं। जो सैंडबैग्स बाहर से दिख रहे हैं, उन्हें मैन्युअली हटाया जाएगा।”

समाधान की जरूरत

यह मामला यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र में अवैध गतिविधियों पर निगरानी की कमी को उजागर करता है। पर्यावरणविदों और प्रशासन को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी गतिविधियां भविष्य में न हों और नदी का प्राकृतिक संतुलन बना रहे। NGT द्वारा इस मुद्दे पर लिए गए संज्ञान से उम्मीद है कि आने वाले दिनों में सख्त कार्रवाई की जाएगी।

You may also like