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मध्य प्रदेश के श्योपुर में देखा गया चीता: भारत के चीता पुनर्वास परियोजना पर उठे सवाल

by kishanchaubey
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Cheetah Madhya Pradesh : मध्य प्रदेश के श्योपुर में एक पॉलीटेक्निक कॉलेज के पास चीता दिखने का वीडियो सामने आने के बाद एक बार फिर भारत की चीता पुनर्वास परियोजना की सफलता पर सवाल उठने लगे हैं। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और कुछ टीवी चैनलों पर भी दिखाया गया है।

क्या है मामला?

वीडियो में दिखाया गया है कि कूनो नेशनल पार्क से छोड़ा गया एक चीता श्योपुर के पास के गांव और पॉलीटेक्निक कॉलेज के करीब घूमता हुआ नजर आया। यह इलाका कूनो के मुख्य क्षेत्र से करीब 60 किलोमीटर दूर है।

सितंबर 2022 में भारत ने नामीबिया से 8 चीते और फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते लाकर कूनो नेशनल पार्क में छोड़े थे। इस परियोजना का उद्देश्य भारत में चीतों की आबादी को फिर से बसाना है।

परियोजना के सामने आईं चुनौतियां

हालांकि, यह परियोजना कई समस्याओं का सामना कर रही है।

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  • कूनो में छोड़े गए चीतों में से कुछ वयस्क चीतों और उनके शावकों की अप्रत्याशित मौतें हुई हैं।
  • बचे हुए 12 वयस्क चीते और 12 शावक अब भी बड़े बाड़ों में बंद हैं और खुले जंगल में रहने का बहुत कम मौका मिला है।
  • कुछ वन्यजीव वैज्ञानिकों ने पहले ही चेतावनी दी थी कि कूनो में चीतों के लिए पर्याप्त और उपयुक्त जगह नहीं है।

विशेषज्ञों की राय

वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि चीते स्वभाव से लंबी दूरी तक घूमने वाले जानवर हैं।

  • रवि चेल्लम, जो एक प्रमुख वन्यजीव वैज्ञानिक हैं, ने कहा, “चीतों का यह व्यवहार सामान्य है। वे नई जगहों को खोजते हैं, और उनकी यात्रा सैकड़ों किलोमीटर तक जा सकती है।”
  • चेल्लम और अन्य विशेषज्ञों ने 2022 में ही कहा था कि चीतों को भारत में लाना एक “ग़लत योजना” हो सकती है, क्योंकि इसके लिए पर्याप्त जगह और सही वातावरण की कमी है।

सरकार की प्रतिक्रिया

केंद्र सरकार के वन्यजीव वैज्ञानिकों ने परियोजना का बचाव करते हुए कहा है कि कूनो में चीतों के लिए पर्याप्त शिकार (चितल, चिंकारा, जंगली सुअर, नीलगाय और बंदर) मौजूद हैं।

  • एक अधिकारी ने कहा, “चीतों का बाहर जाना सामान्य है। वे अपने क्षेत्र का पता लगाने के लिए बाहर जाते हैं और फिर वापस लौट आते हैं। इसे लेकर ज़्यादा चिंतित होने की ज़रूरत नहीं है।”

आलोचना और सुझाव

लेकिन परियोजना के आलोचकों का कहना है कि चीतों को लंबे समय तक बाड़ों में बंद रखना यह दर्शाता है कि परियोजना के प्रबंधन में कई समस्याएं हैं।

  • विशेषज्ञों ने यह भी चेतावनी दी है कि जब चीते मानव-आबादी वाले इलाकों में पहुंचते हैं, तो यह लोगों और चीतों दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है।

क्या है आगे की राह?

भारत में चीता पुनर्वास परियोजना को सफल बनाने के लिए इन बिंदुओं पर ध्यान देना होगा:

  1. सुरक्षित क्षेत्र: चीतों के लिए पर्याप्त और सुरक्षित क्षेत्र का विस्तार।
  2. मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकना: चीतों को गांवों और मानव बस्तियों से दूर रखने के उपाय।
  3. सतत निगरानी: चीतों के मूवमेंट पर निगरानी रखने के लिए उच्च तकनीक का उपयोग।
  4. प्राकृतिक वातावरण में ढलने का समय: चीतों को खुले जंगल में ढलने के लिए समय और सही अवसर देना।

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