Bihar News : बिहार के गंगा के मैदानी इलाकों में भू-जल (हैंडपंप के पानी) में मैंगनीज की अत्यधिक मात्रा पाई गई है, जो कैंसर के मामलों में वृद्धि का कारण बन रही है। यह खुलासा पटना स्थित महावीर कैंसर संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन में हुआ है।
अध्ययन की प्रमुख बातें
- अध्ययन टीम के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अरुण कुमार ने बताया कि मैंगनीज कैंसर का एक नया विषाक्त तत्व (टॉक्सिन) हो सकता है।
- कैंसर मरीजों के खून के नमूनों में मैंगनीज का स्तर 6,022 माइक्रोग्राम प्रति लीटर तक दर्ज किया गया, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा तय सीमा से बहुत अधिक है।
- इन मरीजों के घर के हैंडपंप से लिए गए पानी में भी मैंगनीज का उच्च स्तर पाया गया।
अध्ययन के आंकड़े
- अध्ययन में बिहार के पटना, वैशाली, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, सीवान और सारण जिलों से 1,146 कैंसर मरीजों के खून और पानी के नमूने लिए गए।
- इनमें 767 महिलाएं (67%) और 379 पुरुष (33%) शामिल थे।
- कैंसर के प्रकार:
- स्तन कैंसर: 33.25%
- हेपैटोबिलियरी और गेस्ट्रो कैंसर: 26.96%
- गर्भाशय ग्रीवा कैंसर: 5.58%
- अन्य प्रकार के कैंसर: 34.78%
कैंसर की स्टेज का विवरण
- स्टेज 4: 45.9% मरीज।
- स्टेज 3: 36.1% मरीज।
- स्टेज 2: 15.1% मरीज।
- स्टेज 1: 2.8% मरीज।
मैंगनीज और कैंसर का संबंध
वैज्ञानिकों ने पाया कि कैंसर मरीजों के खून में मैंगनीज का उच्च स्तर और उनके घर के हैंडपंप के पानी में मैंगनीज की मात्रा के बीच मजबूत संबंध है।
मैंगनीज: उपयोग और जोखिम
- मैंगनीज पृथ्वी पर पाँचवां सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला धातु है।
- यह ऑक्साइड, कार्बोनेट और सिलिकेट के रूप में भोजन, पानी, मिट्टी और चट्टानों में पाया जाता है।
- कम मात्रा में यह शरीर के लिए उपयोगी है, लेकिन अधिक मात्रा में यह विषाक्त हो सकता है।
मैंगनीज प्रदूषण के स्रोत
- औद्योगिक प्रदूषण: कारखानों से निकलने वाला कचरा।
- भौगोलिक कारण: तलछटी चट्टानों से भू-जल में मैंगनीज का रिसाव।
भारत में मैंगनीज प्रदूषण के मामले
- 1957 में महाराष्ट्र के चिंचवड़ में खदान मजदूरों में मैंगनीज विषाक्तता का पहला मामला दर्ज किया गया था।
- इसके बाद पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और अन्य राज्यों में भी भू-जल में मैंगनीज की अधिकता पाई गई।
बिहार में कैंसर के मामलों में वृद्धि
डॉ. अरुण कुमार के अनुसार, बिहार में पिछले कुछ दशकों में कैंसर के मामलों में तेजी आई है। हालाँकि, इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन मैंगनीज जैसे ट्रेस एलिमेंट का विषाक्त प्रभाव भी एक बड़ा कारक है।
क्या किया जा सकता है?
- जल शोधन संयंत्र (Water Treatment Plants) की स्थापना।
- भू-जल के नियमित परीक्षण।
- औद्योगिक प्रदूषण पर सख्त नियंत्रण।
- कैंसर के इलाज और जागरूकता अभियानों को बढ़ावा।
यह अध्ययन बिहार में बढ़ते प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करता है और प्रदूषण के समाधान के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।