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भारत की कृषि को एक समान संकट नहीं कहा जा सकता। जहां कुछ किसान ₹27 प्रतिदिन पर जीवन यापन कर रहे हैं, वहीं कई अन्य किसान और कृषि आधारित कंपनियां बिना टैक्स चुकाए अच्छी-खासी कमाई कर रही हैं। कैपिटलमाइंड के संस्थापक दीपक शेनॉय ने इस असमानता को उजागर करते हुए कहा कि अमीर किसानों और कृषि कर छूट का लाभ उठाने वाली कंपनियों को टैक्स के दायरे में लाना चाहिए।
किसानों की कमाई में बड़ा अंतर
- 2018-19 के आंकड़ों के अनुसार, औसत किसान की खेती से होने वाली कमाई मनरेगा मजदूरी से भी कम थी।
- हालांकि, शेनॉय का कहना है कि असली समस्या यह है कि कुछ किसान और कृषि कंपनियां कर मुक्त आय का फायदा उठाकर ज्यादा कमाई कर रही हैं।
कृषि और रोजगार: एक सुरक्षा जाल
- कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान कृषि क्षेत्र में रोजगार बढ़ा, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि भारत अब भी कृषि पर रोजगार के लिए निर्भर है।
- यह स्थिति भारत के आर्थिक विकास को पीछे खींचती है, क्योंकि श्रमिकों को मैन्युफैक्चरिंग और अन्य सेक्टरों में स्थानांतरित करने की दशकों की कोशिशें रुक गईं।
किसान टैक्स और सरकारी समर्थन
- भारतीय किसान दुनिया के सबसे ज्यादा अप्रत्यक्ष करों का सामना करते हैं।
- किसान हर साल $169 बिलियन (लगभग ₹14 लाख करोड़) का योगदान करते हैं, लेकिन उन्हें सरकार से अन्य देशों के मुकाबले सबसे कम सहायता मिलती है।
- विशेषज्ञों का मानना है कि किसानों के लिए व्यवस्थित सुधार की तत्काल आवश्यकता है।
नीतिगत विफलताएं और कृषि संकट
- भारत में चावल का अत्यधिक उत्पादन होता है, लेकिन इसे प्रभावी रूप से निर्यात नहीं किया जा पाता।
- इससे न केवल बर्बादी होती है, बल्कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) जैसी अस्थिर गारंटी देने का दबाव भी बढ़ता है।
- शेनॉय ने इसे इस तरह समझाया कि यह वैसा ही है जैसे ओला ड्राइवर को हर दिन निश्चित सवारी देने की गारंटी।
MSP पर शेनॉय की राय
- शेनॉय का कहना है कि भारत में फसल पर MSP की गारंटी से बचना चाहिए।
- “हर कोई जोखिम लेकर काम करता है, यही बात खेती पर भी लागू होती है। इसके अलावा, यह भारत को कंगाल बना देगा। चावल, गेहूं, और गन्ने की अधिक खेती बंद करनी होगी,” उन्होंने कहा।
सरकारी नियंत्रण और सुधार
- शेनॉय ने समझाया कि गन्ने को छोड़कर, किसान अपनी फसल किसी भी कीमत पर बेच सकते हैं, खासकर उन राज्यों में जिन्होंने मंडी कानून हटा दिए हैं।
- उन्होंने यह भी बताया कि जब सरकार ने मंडी प्रतिबंध हटाने की कोशिश की, तो विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, जो सुधार की राह में सबसे बड़ी बाधा है।
क्या जरूरी है?
- अमीर किसानों और कृषि आधारित कंपनियों पर कर लगाना।
- फसल विविधता को बढ़ावा देना और चावल, गेहूं, गन्ने जैसी फसलों की अधिक खेती को रोकना।
- निर्यात क्षमता बढ़ाना ताकि अतिरिक्त उत्पादन बर्बाद न हो।
- किसानों और सरकार के बीच संतुलन बनाकर कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाना।