भारत का कृषि क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार, यह क्षेत्र 42.3% आबादी की आजीविका का साधन है और देश के जीडीपी में 18.2% का योगदान करता है। हालांकि, कृषि ने समय के साथ प्रगति की है, लेकिन यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति बेहद संवेदनशील है।
मिट्टी का क्षरण, मरुस्थलीकरण, अनियमित बारिश, सूखा और बाढ़ जैसी समस्याएं कृषि उत्पादन को बुरी तरह प्रभावित कर रही हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए, आईटीसी ने अपने MAARS (Metamarket for Advanced Agriculture and Rural Services) इकोसिस्टम को मजबूत करने का लक्ष्य रखा है। इस पहल के तहत, अगले 4-5 वर्षों में 1 करोड़ किसानों को जोड़ने और मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और बिहार जैसे राज्यों में पहुंच बढ़ाने की योजना है।
ITCMAARS: किसानों के लिए ‘फिजिटल’ समाधान
आईटीसी एक “फिजिटल” (फिजिकल + डिजिटल) प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से किसानों को सेवाएं प्रदान कर रही है। यह Farmer Producer Organisations (FPOs) के साथ साझेदारी में संचालित है और इसमें किसानों को व्यक्तिगत सहायता दी जाती है।
इसमें शामिल सेवाएं:
- मौसम की जानकारी और फसल सलाह
- मंडी के भाव (फसल बेचने के लिए बाजार मूल्य)
- मिट्टी परीक्षण (soil testing)
- बैंक लोन और किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की मदद
ITCMAARS ऐप के माध्यम से छोटे किसानों को तकनीक, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), और ऑनलाइन मार्केटप्लेस की मदद से बेहतर कृषि पद्धतियां अपनाने में मदद की जाती है।
ITCMAARS ऐप के प्रमुख फीचर
- फसल और मौसम आधारित सलाह
- किसान ऐप के माध्यम से अपनी समस्याओं को साझा कर सकते हैं और तुरंत समाधान पा सकते हैं।
- विशेषज्ञों की टीम द्वारा फील्ड पर ही सहायता दी जाती है।
- AI-चालित फसल डॉक्टर
- यह फीचर फसल में कीट या बीमारियों की पहचान कर तुरंत समाधान प्रदान करता है।
- इससे फसलों को नुकसान होने से बचाया जा सकता है।
- फसल कैलेंडर
- किसानों को व्यवस्थित तरीके से कृषि गतिविधियां प्लान करने में मदद करता है।
- फसल पोषण की सिफारिशें
- बेहतर फसल उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार के लिए पोषण संबंधी सलाह दी जाती है।
- रिमोट सेंसिंग और मॉनिटरिंग
- रिमोट सेंसिंग तकनीक के जरिए किसानों को फसल की स्थिति की जानकारी दी जाती है।
- बहुभाषीय सुविधा
- यह ऐप भारत की सभी प्रमुख भाषाओं में उपलब्ध है।
- वॉइस-टू-टेक्स्ट तकनीक की मदद से किसानों को उनकी भाषा में व्यक्तिगत सलाह मिलती है।
- क्लाइमेट स्मार्ट टेक्नोलॉजी और स्थायी खेती
- जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए टिकाऊ कृषि पद्धतियां अपनाने की जानकारी दी जाती है।
- जैव उर्वरक, जैव कीटनाशक और नैनो-फर्टिलाइजर जैसी तकनीकों का उपयोग बढ़ावा दिया जाता है।
- ड्रोन और IoT आधारित समाधान
- ड्रोन का उपयोग उर्वरकों के छिड़काव के लिए किया जाता है।
- मौसम और मिट्टी की नमी के लिए IoT आधारित उपकरण जैसे सोलर पावर मौसम स्टेशन उपयोग में लाए जाते हैं।
- कृषि मित्र AI चैटबॉट
- माइक्रोसॉफ्ट के सहयोग से विकसित यह चैटबॉट किसानों के सवालों का जवाब देता है।
- FPO और वित्तीय सहायता
- किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) को प्री-अप्रूव्ड वर्किंग कैपिटल लोन की सुविधा दी जाती है।
- FPOs को क्षमता निर्माण, संचालन प्रबंधन और अनुपालन में सहायता प्रदान की जाती है।
- किसान समुदाय प्लेटफॉर्म
- ऐप पर किसानों को एक मंच मिलता है, जहां वे अपनी कृषि पद्धतियां साझा कर सकते हैं।
- विशेषज्ञों से सलाह लेकर अपनी समस्याओं का समाधान पा सकते हैं।
जलवायु अनुकूल कृषि का लक्ष्य
ITCMAARS, जलवायु स्मार्ट कृषि (CSA) कार्यक्रम का हिस्सा है। इसका उद्देश्य जलवायु अनुकूल कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना और किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए तैयार करना है।
किसानों के लिए संभावनाएं
इस प्लेटफ़ॉर्म के जरिए आईटीसी छोटे और सीमांत किसानों की आय बढ़ाने, कृषि उत्पादकता सुधारने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने का प्रयास कर रही है। ITCMAARS ऐप कृषि क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने की ओर अग्रसर है।