हरिद्वार (उत्तराखंड) [भारत], 4 दिसंबर (एएनआई): उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UKPCB) के अनुसार, हरिद्वार में गंगा नदी का पानी ‘बी’ श्रेणी का पाया गया है। इसका मतलब है कि यह पानी नहाने के लिए उपयुक्त है लेकिन पीने के लिए असुरक्षित है।
गंगा जल की गुणवत्ता की जाँच
UKPCB हर महीने हरिद्वार और उत्तर प्रदेश सीमा के आसपास गंगा नदी के लगभग आठ स्थानों पर पानी की गुणवत्ता की जाँच करता है।
नवंबर महीने की जाँच में पाया गया कि गंगा का पानी ‘बी’ श्रेणी में आता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने पानी की गुणवत्ता को पाँच श्रेणियों (‘A’ से ‘E’) में बाँटा है:
- ‘A’: सबसे कम प्रदूषण, जिसे कीटाणुरहित कर पीने योग्य बनाया जा सकता है।
- ‘E’: सबसे अधिक प्रदूषण, जो किसी भी उपयोग के लिए असुरक्षित है।
गंगा का ‘बी’ श्रेणी में आना क्या बताता है?
UKPCB के क्षेत्रीय अधिकारी राजेंद्र सिंह ने बताया कि पानी की गुणवत्ता का निर्धारण चार मानकों के आधार पर किया जाता है:
- pH स्तर
- घुलित ऑक्सीजन (DO)
- जैविक ऑक्सीजन माँग (BOD)
- कुल कॉलिफ़ॉर्म बैक्टीरिया
इन मानकों के आधार पर, गंगा का पानी नहाने योग्य है लेकिन पीने के लिए सुरक्षित नहीं है।
स्थानीय लोगों और पुजारियों की चिंता
हरिद्वार के एक स्थानीय पुजारी उज्वल पंडित ने गंगा में बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि मानव अपशिष्ट गंगा की पवित्रता को नुकसान पहुँचा रहा है।
उन्होंने कहा, “गंगा का पानी शरीर को रोगमुक्त करता है। यहाँ तक कि कैंसर जैसे रोग भी इससे ठीक हो सकते हैं। लेकिन गंगा की शुद्धता मानव द्वारा फैलाए जा रहे कचरे से प्रभावित हो रही है, और इसे रोकने की सख्त जरूरत है।”
अन्य नदियों की स्थिति भी गंभीर
गंगा के साथ-साथ भारत की अन्य नदियाँ, खासकर यमुना, भी गंभीर प्रदूषण का सामना कर रही हैं।
- 1 दिसंबर को दिल्ली में यमुना नदी की सतह पर मोटी जहरीली झाग देखी गई, जिसने पानी की गुणवत्ता और स्वास्थ्य जोखिमों को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए।
समाधान की जरूरत
गंगा और अन्य नदियों की शुद्धता बनाए रखने के लिए सरकार और जनता को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
साफ-सफाई, अपशिष्ट प्रबंधन, और जागरूकता अभियान के साथ-साथ सरकारी नियमों का कड़ाई से पालन करना जरूरी है ताकि गंगा और अन्य नदियाँ अपनी पुरानी शुद्धता प्राप्त कर सकें।