सिलिगुड़ी: रविवार को एक हाथी रांगापानी के रिहायशी इलाके में घुस आया, जिससे स्थानीय लोगों में दहशत फैल गई। इस घटना में फसलों, पेड़ों और खेतों को काफी नुकसान पहुंचा। अचानक हुए इस हमले के कारण लोग अपने घरों में कैद हो गए, जबकि हाथी ने इलाके में जमकर उत्पात मचाया।
वन विभाग की प्रतिक्रिया:
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह हाथी अपने झुंड से बिछड़कर यहां पहुंच गया। वन अधिकारी गणेश शर्मा ने कहा, “हमें सूचना मिली कि एक हाथी अपने झुंड से अलग होकर रिहायशी इलाके में आ गया है। हमने इसे सुरक्षित तरीके से जंगल में वापस ले जाने के लिए कई टीमों को तैनात किया है।”
स्थानीय लोगों की मुश्किलें:
घटना के दौरान किसान अपनी फसलों को बचाने की कोशिश में लगे रहे, लेकिन भारी नुकसान हुआ। प्रशासन ने कहा कि वे न केवल फसलों को हुए नुकसान को कम करने बल्कि समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी प्रयासरत हैं।
मानव-वन्यजीव संघर्ष की समस्या:
यह घटना मानव-वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती समस्या को उजागर करती है। सिलिगुड़ी और पश्चिम बंगाल के अन्य क्षेत्रों में ऐसी घटनाएं आम हो गई हैं।
सुप्रीम कोर्ट का दखल:
इस घटना के साथ, मानव-हाथी संघर्ष को लेकर एक कानूनी मामला भी चर्चा में है। 12 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ एक अवमानना याचिका पर सुनवाई की। इसमें आरोप लगाया गया कि राज्य सरकार हाथियों को नियंत्रित करने के लिए तेज़ धातु के नुकीले उपकरण और आग के मशालों का उपयोग कर रही है, जो 2018 के कोर्ट के आदेश के खिलाफ है।
याचिकाकर्ता की वकील प्रेरणा सिंह बिंद्रा ने कहा कि सरकार ने कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया और मानव-हाथी संघर्ष को सुलझाने के वैकल्पिक तरीकों पर काम नहीं किया।
पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव:
- पर्यावरण पर असर:
- ऐसी घटनाओं से स्थानीय जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- हाथियों के डर से किसान जंगल के करीब फसल उगाने से बचते हैं, जिससे भूमि का उपयोग असंतुलित हो जाता है।
- स्वास्थ्य पर असर:
- डर और तनाव के कारण स्थानीय लोगों की मानसिक सेहत पर असर पड़ता है।
- हाथियों से बचने के लिए कई बार लोग खुद को चोटिल कर लेते हैं।
समाधान की दिशा में प्रयास:
वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि मानव-हाथी संघर्ष को कम करने के लिए इन उपायों पर ध्यान देना चाहिए:
- हाथियों के लिए वन गलियारों का निर्माण।
- स्थानीय लोगों को जागरूक करना और उन्हें सुरक्षा के साधन मुहैया कराना।
- तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल, जैसे ड्रोन, हाथियों को ट्रैक करने और उनके झुंड से अलग होने पर मदद करने के लिए।
इस घटना ने एक बार फिर मानव और वन्यजीवों के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया है।