चक्रवाती तूफान ‘फेंगल’ ने तमिलनाडु और पुडुचेरी के तटों पर भारी तबाही मचाई है। यह तूफान शनिवार रात करीब 10:30 बजे से 11:30 बजे के बीच इन तटों से टकराया। इस दौरान हवा की रफ्तार 70-90 किमी प्रति घंटे रही। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक, तूफान अब धीरे-धीरे कमजोर हो रहा है और पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम दिशा में आगे बढ़ रहा है।
बारिश और बाढ़ का कहर
- चेन्नई में 11.4 सेमी और पुडुचेरी में 39 सेमी बारिश रिकॉर्ड की गई।
- चेन्नई और आसपास के इलाकों में भारी जलभराव की स्थिति बनी हुई है।
- रेड अलर्ट जारी किया गया है, और तमिलनाडु के कई हिस्सों में भारी बारिश की संभावना है।
प्रशासन की तैयारी
- तमिलनाडु और पुडुचेरी में स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं।
- मछुआरों को समुद्र में न जाने की सख्त चेतावनी दी गई है।
- परीक्षा और विशेष कक्षाओं को भी रद्द कर दिया गया है।
- चेन्नई और कराईकल में डॉपलर रडार से तूफान की निगरानी की जा रही है।
- भारी बारिश और खराब मौसम के कारण कई उड़ानें रद्द कर दी गई हैं।
पर्यावरण पर प्रभाव
चक्रवात के कारण भारी बारिश और तेज हवाओं से तटीय इलाकों में मिट्टी का कटाव, पेड़ उखड़ने और फसल नष्ट होने जैसी समस्याएं हो रही हैं। जलभराव के कारण जल स्रोत प्रदूषित हो सकते हैं, जिससे पेयजल संकट बढ़ सकता है। समुद्री जीवन पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है, क्योंकि तूफान की वजह से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र बाधित होता है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
- संचारी रोगों का खतरा: जलभराव और गंदगी के कारण मलेरिया, डेंगू, और जलजनित रोगों का खतरा बढ़ सकता है।
- सांस की समस्या: तेज हवाओं और बारिश से धूल-मिट्टी और अन्य प्रदूषक हवा में फैल सकते हैं, जिससे सांस की बीमारियां बढ़ सकती हैं।
- मानसिक तनाव: घरों, फसलों और आजीविका को हुए नुकसान से प्रभावित लोगों में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
आगे की तैयारी
- जल निकासी: बाढ़ प्रभावित इलाकों में पानी निकालने के लिए पंप लगाए जाएं।
- स्वास्थ्य सेवाएं: बीमारियों की रोकथाम के लिए मेडिकल कैंप लगाए जाएं।
- पुनर्वास: बेघर हुए लोगों के लिए सुरक्षित स्थानों पर रहने की व्यवस्था की जाए।
- प्राकृतिक संरक्षण: तटीय क्षेत्रों में मैंग्रोव और अन्य प्राकृतिक अवरोधों को पुनर्जीवित किया जाए ताकि भविष्य में चक्रवातों के प्रभाव को कम किया जा सके।
चक्रवात ‘फेंगल’ ने यह साबित कर दिया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण प्राकृतिक आपदाओं की तीव्रता और आवृत्ति बढ़ रही है। इससे निपटने के लिए हमें सतर्कता और दीर्घकालिक पर्यावरण संरक्षण उपायों की सख्त आवश्यकता है।