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वायु प्रदूषण और बढ़ती गर्मी से सदी के अंत तक सालाना तीन करोड़ मौतों की आशंका

by kishanchaubey
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वायु प्रदूषण और अत्यधिक गर्मी से होने वाली मौतें भविष्य में एक बड़ी समस्या बन सकती हैं। मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर केमिस्ट्री के नेतृत्व में हुए एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में यह अनुमान लगाया गया है कि सदी के अंत तक हर साल करीब तीन करोड़ लोग इन वजहों से अपनी जान गंवा सकते हैं।

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष

  • पांच गुना बढ़ेगी वायु प्रदूषण से मौतें:
    वर्तमान में हर साल करीब 41 लाख लोग वायु प्रदूषण के कारण मरते हैं। लेकिन सदी के अंत तक यह आंकड़ा 1.95 करोड़ तक पहुंच सकता है।
  • सात गुना बढ़ेगी तापमान से मौतें:
    साल 2000 में तापमान से जुड़ी मौतों की संख्या लगभग 16 लाख थी, जो सदी के अंत तक 1.08 करोड़ तक पहुंच सकती है।
  • क्षेत्रीय अंतर:
    दक्षिण और पूर्वी एशिया में वायु प्रदूषण की वजह से मौतों में सबसे अधिक बढ़ोतरी होगी। वहीं, उच्च आय वाले क्षेत्रों जैसे उत्तरी अमेरिका, पश्चिमी यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में अत्यधिक तापमान से जुड़ी मौतें ज्यादा होंगी।

जलवायु परिवर्तन का स्वास्थ्य पर प्रभाव

जलवायु परिवर्तन न केवल पर्यावरण बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बनता जा रहा है।

  1. श्वसन और हृदय रोगों में वृद्धि:
    वायु प्रदूषण से फेफड़ों और दिल की बीमारियां बढ़ रही हैं। इसमें पीएम 2.5 जैसे कण और ओजोन जैसे गैसें मुख्य भूमिका निभाती हैं।
  2. गर्मी और ठंड से बढ़ता खतरा:
    अत्यधिक गर्मी और ठंड के कारण हीटस्ट्रोक, हाइपोथर्मिया और अन्य बीमारियों से मौतों में बढ़ोतरी हो रही है।
  3. बच्चों और बुजुर्गों पर गंभीर असर:
    बच्चों और बुजुर्गों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, जिससे उन्हें इन खतरों का सबसे अधिक सामना करना पड़ता है।

भविष्य की चुनौतियां

  1. एशिया सबसे अधिक प्रभावित:
    दक्षिण और पूर्वी एशिया, जहां जनसंख्या घनत्व ज्यादा है, वहां वायु प्रदूषण और गर्मी के खतरे गंभीर स्तर पर पहुंच सकते हैं।
  2. उन्नत देशों में तापमान बड़ा खतरा:
    अमेरिका, इंग्लैंड, जापान और न्यूजीलैंड जैसे देशों में तापमान से जुड़ी मौतें बढ़ेंगी।

समस्या का समाधान

शोधकर्ताओं का कहना है कि इन खतरों को रोकने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।

  1. नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल:
    कोयले और तेल पर निर्भरता कम करके सौर और पवन ऊर्जा को बढ़ावा देना चाहिए।
  2. ग्रीन क्षेत्रों का विस्तार:
    पेड़-पौधों की संख्या बढ़ाने से वायु गुणवत्ता में सुधार होगा और गर्मी का असर भी कम होगा।
  3. कार्बन उत्सर्जन में कटौती:
    उद्योगों और वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के लिए सख्त नीतियां लागू करनी होंगी।
  4. जन जागरूकता:
    लोगों को पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छ ऊर्जा के इस्तेमाल के प्रति जागरूक करना होगा।

निष्कर्ष

जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण अब केवल पर्यावरणीय समस्या नहीं हैं, बल्कि ये मानव जीवन के लिए सीधा खतरा बन गए हैं। यदि इन खतरों से निपटने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में इनका प्रभाव और घातक होगा। यह शोध इस बात पर जोर देता है कि हमें सतत और व्यापक नीति अपनाकर इन चुनौतियों का सामना करना होगा।

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