`मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से सटे इलाकों में 11 हाथियों (एक शावक सहित) की मौत का मामला सामने आया है। यह देश में हाथियों की सबसे बड़ी एक साथ मौत की घटना मानी जा रही है। शुरुआती जांच और विभिन्न लैब की रिपोर्ट्स में हाथियों की मौत की वजह कोदो की फसल पर पनपा फंगस पाई गई।
घटना का विवरण
29 अक्टूबर 2023 को बांधवगढ़ के खितौली और पतौर रेंज में 13 हाथियों का झुंड बेहोशी की हालत में मिला। वन विभाग ने तुरंत इलाज शुरू किया, लेकिन कुछ ही घंटों में 10 हाथियों की मौत हो गई। 8 नवंबर को एक शावक बीमार मिला, जिसकी भी 10 नवंबर को मौत हो गई।
मौत की वजह
केंद्र और राज्य सरकार की तीन प्रयोगशालाओं ने हाथियों की मौत की वजह कोदो की फसल पर पनपे फंगस को बताया।
- भारतीय पशु-चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), बरेली की रिपोर्ट के मुताबिक, हाथियों के पेट में साइक्लोपियाज़ोनिक एसिड नामक विषैला तत्व पाया गया।
- यह फंगस तब बनता है जब फसल को समय पर नहीं काटा जाता और नमी के कारण उसमें संक्रमण हो जाता है।
कोदो: पौष्टिक अनाज, लेकिन फंगस से खतरा
कोदो मध्य प्रदेश के आदिवासी इलाकों में उगाई जाने वाली प्रमुख फसल है। यह मोटा अनाज प्रोटीन, फाइबर, और कई महत्वपूर्ण विटामिन और खनिजों से भरपूर होता है।
लेकिन इस बार फसल पर फंगस लगने के कारण यह हाथियों के लिए घातक बन गया। विशेषज्ञों का मानना है कि कोदो अनाज में खुद कोई विषाक्तता नहीं होती, बल्कि फंगस के कारण माइकोटॉक्सिन विकसित होता है, जो विषैला होता है।
वन विभाग की कार्रवाई
हाथियों को कोदो खाने से रोकने के लिए वन विभाग ने कई कदम उठाए:
- फसल की मैपिंग और कटाई: इलाके में 3,500 एकड़ में फैली कोदो की फसल की पहचान की गई और 99% फसल काट दी गई।
- जागरूकता अभियान: ग्रामीणों को खराब फसल से दूर रहने और मवेशियों को वहां न चराने की सलाह दी गई।
- हाथियों की निगरानी: हाथियों को फसल वाले क्षेत्रों में जाने से रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं।
लंबे समय का समाधान
- फसल प्रबंधन: फसल की समय पर कटाई और उपयुक्त भंडारण से फंगस को पनपने से रोका जा सकता है।
- ग्रामीणों को मुआवजा: विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि किसानों को समय पर फसल काटने के लिए आर्थिक सहायता और संसाधन उपलब्ध कराए जाएं।
- हाथी-मानव संघर्ष कम करना:
- हाथियों के झुंड की निगरानी और उनके रास्तों की जानकारी रखना।
- स्थानीय समुदाय को हाथियों के व्यवहार और उनकी सुरक्षा के तरीकों पर प्रशिक्षण देना।
मध्य प्रदेश में हाथी-मानव संघर्ष की बढ़ती समस्या
- छत्तीसगढ़ से आए हाथी: बांधवगढ़ के जंगल में छत्तीसगढ़ से आए हाथी स्थायी रूप से रहने लगे हैं। वर्तमान में प्रदेश में 100 हाथियों का अनुमान है।
- संघर्ष के आंकड़े: 2018 से 2021 के बीच मानव-हाथी संघर्ष में 12 लोगों की मौत हो चुकी है।
पर्यावरण और जैव विविधता पर प्रभाव
- जंगलों में असंतुलन: इतनी बड़ी संख्या में हाथियों की मौत से वन्यजीवों के पारिस्थितिक तंत्र पर गहरा असर पड़ सकता है।
- प्राकृतिक खाद्य श्रृंखला प्रभावित: हाथी जंगल के लिए “कस्टोडियन” माने जाते हैं, उनकी कमी से पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव होगा।
समाज और सरकार की जिम्मेदारी
यह घटना हमें वन्यजीवों और मानव समुदाय के बीच तालमेल बढ़ाने की आवश्यकता को दर्शाती है। हाथियों की सुरक्षा के लिए नीतिगत बदलाव और स्थानीय समुदायों को शामिल करना अनिवार्य है।
“वन्यजीव संरक्षण न केवल पर्यावरण बल्कि मानव अस्तित्व के लिए भी जरूरी है।”