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कासरगोड में दुर्लभ लाल सिर वाले गिद्ध की पहली sighting, पक्षी विविधता में बढ़ोतरी

by kishanchaubey
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कासरगोड जिले में पहली बार लाल सिर वाले गिद्ध (Red-Headed Vulture) को देखा गया है, जो जिले की जैव विविधता और पक्षी संरक्षण के महत्व को दर्शाता है। पक्षी प्रेमी श्रीलाल के. मोहन ने मवुंगल के पास इस critically endangered प्रजाति का दस्तावेजीकरण किया।

गिद्धों की जनसंख्या की स्थिति

लाल सिर वाला गिद्ध एशिया की सबसे दुर्लभ प्रजातियों में से एक है। इनकी संख्या में पिछले कुछ दशकों में भारी गिरावट आई है।

  • 1970 तक: केरल में गिद्धों की संख्या अच्छी थी।
  • कारणों से गिरावट:
    • आवासीय क्षेत्र का नुकसान
    • भोजन की कमी
    • मवेशियों में इस्तेमाल होने वाली डिक्लोफेनाक दवा, जो गिद्धों के लिए जहरीली साबित होती है।

लाल सिर वाले गिद्ध की विशेषताएं

  • इसे एशियन किंग वल्चर भी कहा जाता है।
  • शारीरिक विशेषताएं:
    • सिर लाल रंग का और शरीर काला।
    • पंखों का फैलाव 2.5 मीटर तक होता है।
    • वजन लगभग 5 किलो और लंबाई 80 सेमी से अधिक होती है।
    • पेट पर सफेद रंग का पैच इसकी पहचान में मदद करता है।
  • व्यवहार:
    • यह गिद्ध आमतौर पर अकेले या जोड़ी में दिखता है।

प्रजनन और आवास

  • प्रजनन काल: नवंबर से जनवरी के बीच।
  • आवास:
    • भारत के मध्य भाग, नेपाल और दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है।
    • भारत में मुख्यतः केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में देखा जाता है।
  • कासरगोड:
    • यहां 407 से अधिक पक्षी प्रजातियां दर्ज हैं।
    • यह क्षेत्र पक्षी जैव विविधता का नया केंद्र बनता जा रहा है।

संरक्षण प्रयास

गिद्धों की रक्षा के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं:

  1. डिक्लोफेनाक के उपयोग में कमी:
    • इससे गिद्धों की आबादी में सुधार की संभावना है।
  2. आवास संरक्षण:
    • गिद्धों के रहने योग्य स्थानों की सुरक्षा पर ज़ोर।
  3. जागरूकता अभियान:
    • लोगों को गिद्धों के महत्व और उनके संरक्षण के लिए जागरूक किया जा रहा है।

महत्व और भविष्य की उम्मीदें

लाल सिर वाले गिद्ध की यह sighting पक्षी प्रेमियों और पर्यावरणविदों के लिए उम्मीद की किरण है। यह घटना कासरगोड को एक महत्वपूर्ण पक्षी संरक्षण स्थल के रूप में स्थापित करती है। अगर संरक्षण के प्रयास जारी रहे, तो इस दुर्लभ प्रजाति को बचाने में सफलता मिल सकती है।

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