मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया है कि उसका कोई भी सदस्य पराली जलाने के आरोपियों का केस नहीं लड़ेगा।
पराली जलाने से होने वाले नुकसान पर चिंता
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, अधिवक्ता डी. के. जैन ने बताया कि कार्यकारिणी समिति की बैठक में इस विषय पर गहन चर्चा हुई। पराली जलाने के कारण देशभर में लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर पड़ रहे गंभीर प्रभाव को लेकर चिंता जताई गई।
पराली जलाने के दुष्प्रभाव
- पराली जलाने से हवा में जहरीला धुआं फैलता है, जो सांस संबंधी बीमारियों का कारण बनता है।
- फसलों के बीच रहने वाले छोटे जीव-जंतु, जो जमीन की उर्वरता बढ़ाने में मदद करते हैं, मर जाते हैं।
- वायु प्रदूषण इतना बढ़ जाता है कि सामान्य जीवन जीना मुश्किल हो जाता है।
- उत्तरी राज्यों में पराली जलाने की वजह से वायु गुणवत्ता बहुत खराब हो चुकी है।
मध्य प्रदेश में पराली जलाने की स्थिति
खबरों के अनुसार, पराली जलाने के मामलों में मध्य प्रदेश देश में पहले स्थान पर है। यह स्थिति उत्तरी भारत के लोगों के लिए बड़ी समस्या बन गई है, क्योंकि धुएं का असर दूर-दूर तक महसूस किया जा रहा है।
सरकार और अदालत की गाइडलाइंस
अध्यक्ष डी. के. जैन ने बताया कि इस गंभीर समस्या को देखते हुए अदालत और सरकार ने समय-समय पर गाइडलाइंस जारी की हैं। लेकिन इसके बावजूद पराली जलाने की घटनाएं बढ़ रही हैं, जो यह दिखाता है कि समस्या के समाधान के लिए और अधिक कठोर कदम उठाने की जरूरत है।
बार एसोसिएशन का फैसला
पर्यावरण और जनहित को ध्यान में रखते हुए, एसोसिएशन ने पराली जलाने के आरोपियों के लिए अदालत में पैरवी न करने का निर्णय लिया है। यह फैसला देशहित में लिया गया है ताकि लोग इस समस्या की गंभीरता को समझें और इसका स्थायी समाधान निकले।
पराली जलाने का पर्यावरण और स्वास्थ्य पर असर
- पर्यावरण पर प्रभाव
- वायु प्रदूषण: पराली जलाने से निकलने वाला धुआं हवा में जहरीले कण भर देता है, जिससे वायु की गुणवत्ता खराब हो जाती है।
- जैव विविधता का नुकसान: खेतों में रहने वाले कीट, केंचुए और अन्य जीव-जंतु मर जाते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता घटती है।
- ग्रीनहाउस गैसें: पराली जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसी गैसें निकलती हैं, जो जलवायु परिवर्तन को तेज करती हैं।
- स्वास्थ्य पर प्रभाव
- सांस की बीमारियां: जहरीले धुएं के कारण लोग दमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य फेफड़ों की बीमारियों का शिकार हो जाते हैं।
- हृदय रोग: लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से दिल की बीमारियां बढ़ती हैं।
- मानसिक तनाव: प्रदूषण और खराब स्वास्थ्य से लोगों में तनाव और चिंता बढ़ती है।
समस्या का समाधान
- पराली प्रबंधन के लिए जागरूकता: किसानों को पराली जलाने के विकल्पों के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए।
- टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल: पराली को खाद या बायोफ्यूल में बदलने के लिए तकनीकी उपाय अपनाए जाएं।
- सरकार की मदद: किसानों को मशीनरी और आर्थिक मदद प्रदान की जाए ताकि वे पराली जलाने से बच सकें।
- कड़े कानून और जुर्माने: पराली जलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
निष्कर्ष
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का यह कदम एक सकारात्मक दिशा में उठाया गया कदम है। पराली जलाने से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा। जागरूकता और ठोस नीतियों के माध्यम से इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सकता है।