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दक्षिण पूर्व एशिया के रबर बागान: मिट्टी के स्वास्थ्य पर खतरा

by kishanchaubey
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दक्षिण पूर्व एशिया के उष्णकटिबंधीय क्षेत्र, जो रबर बागानों के लिए प्रसिद्ध हैं, वैश्विक विनिर्माण उद्योग के लिए आवश्यक कच्चे माल का एक बड़ा स्रोत हैं। हालांकि, एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि वर्षावनों को रबर बागानों में बदलने से मिट्टी की गुणवत्ता पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

मिट्टी की गुणवत्ता पर रबर बागानों का प्रभाव

नवंबर 2024 में एनवायरनमेंटल मैनेजमेंट में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, रबर बागानों में मिट्टी में घुले हुए जैविक कार्बन (DOC) की सांद्रता वर्षावनों की तुलना में 150–200% अधिक पाई गई। यह प्रवृत्ति सभी मौसमों (सूखा और बारिश) और बागान प्रकारों (मोनोकल्चर और मिश्रित) में समान रही।

प्रमुख निष्कर्ष:

  • उच्च DOC स्तर: रबर बागानों में DOC का स्तर लगातार अधिक पाया गया, जो घुले हुए नाइट्रोजन (डीएन) के अनुपात में भी वृद्धि दिखाता है।
  • मिट्टी की गिरावट: रबर बागानों में परिवर्तन के कारण मिट्टी के कई महत्वपूर्ण गुण खराब हो गए, जैसे:
    • बढ़ती अम्लता (pH में गिरावट)।
    • कम विद्युत चालकता।
    • मिट्टी में जैविक कार्बन, नाइट्रोजन और फॉस्फोरस में कमी।

अध्ययन ने बताया कि रबर बागानों की उच्च पोषक तत्व मांग और बदलती मिट्टी की विशेषताओं के कारण माइक्रोब्स द्वारा DOC का कम उपयोग होता है, जिससे इसका अत्यधिक रिसाव होता है।

वनों की कटाई के दुष्परिणाम

चीन के शिशुआंगबन्ना क्षेत्र में, जो रबर उत्पादन का प्रमुख आधार है, रबर बागान अब 22% भूभाग पर फैल चुके हैं, जबकि मूल वर्षावन केवल 3.6% क्षेत्र में बचे हैं। इस बड़े पैमाने पर वनों की कटाई ने न केवल मिट्टी के रासायनिक गुणों को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि जैव विविधता को भी प्रभावित किया है।

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2023 के अध्ययन से मिले आंकड़े (यॉन्ग लियू और अन्य):

  • मुख्य पोषक तत्वों में गिरावट:
    • माइक्रोबियल कार्बन (MBC): 35% की कमी।
    • कुल नाइट्रोजन: 13% की कमी।
    • कुल मैग्नीशियम: 94% की कमी।
  • ऊपरी मिट्टी पर प्रभाव: बागानों में जैविक पदार्थ की मात्रा और गुणवत्ता में बदलाव ने ऊपरी मिट्टी की भौतिक और रासायनिक संरचना को गंभीर रूप से प्रभावित किया।

टिकाऊ प्रबंधन के लिए सुझाव

मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने और DOC रिसाव को कम करने के लिए शोधकर्ताओं ने निम्नलिखित उपाय सुझाए:

  1. पौधों का घनत्व अनुकूलित करना: पोषक तत्वों की प्रतिस्पर्धा को कम करने के लिए पौधों की संख्या को नियंत्रित करना।
  2. लेग्यूम फसलें शामिल करना: रबर बागानों में दलहनी फसलों को शामिल करना, जिससे:
    • माइक्रोबियल बायोमास कार्बन (MBC) में 24% वृद्धि।
    • घुले हुए जैविक कार्बन (DOC) में 6% वृद्धि।

ये उपाय मिट्टी के स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं और दीर्घकालिक पर्यावरणीय क्षति को कम कर सकते हैं।

अध्ययन ने इस बात पर जोर दिया है कि उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में भूमि उपयोग के लिए संतुलित दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है। जबकि रबर बागान वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं, इनसे मिट्टी और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। टिकाऊ कृषि और बेहतर भूमि प्रबंधन नीतियों के बिना, इस क्षेत्र की मिट्टी के दीर्घकालिक क्षरण से गंभीर पारिस्थितिक और आर्थिक चुनौतियां पैदा हो सकती हैं।

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