environmentalstory

Home » यूपी में पराली का धुआं 2800 पार, सांसों पर संकट और जुर्माने की बौछार

यूपी में पराली का धुआं 2800 पार, सांसों पर संकट और जुर्माने की बौछार

by kishanchaubey
0 comment

प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के तमाम प्रयासों के बावजूद इसके अनुकूल परिणाम सामने नहीं आए हैं। हाल ही में उपग्रह से मिली रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तर प्रदेश में इस वर्ष 2807 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि पिछले साल इस समय तक 2200 मामले सामने आए थे।

जिलों में स्थिति

  • महाराजगंज: पराली जलाने के सबसे ज्यादा 203 मामले।
  • अलीगढ़ और कानपुर देहात: 173-173 मामले।
  • मथुरा: 129 मामले।
    वहीं, सिद्धार्थनगर, रामपुर, और पीलीभीत में घटनाएं कम हुई हैं।

अन्य गतिविधियां और सख्ती

संयुक्त निदेशक कृषि जेपी चौधरी के अनुसार, पराली जलाने के कुल मामलों में से केवल 1063 मामले फसल अवशेष जलाने से जुड़े हैं, जबकि बाकी कचरा जलाने और अन्य गतिविधियों के कारण हुए। किसानों द्वारा खेतों के किनारे कूड़ा जलाने की घटनाएं भी प्रदूषण बढ़ा रही हैं।

  • अब तक 31.28 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जिसमें से 14.60 लाख रुपये की वसूली हो चुकी है।
  • 54 कंबाइन हार्वेस्टर जब्त किए गए हैं, जो बिना सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम के चल रहे थे।

अन्य राज्यों में स्थिति

  • पंजाब: 8404 मामले।
  • हरियाणा: 1082 मामले।
  • मध्य प्रदेश: 10,743 मामले (सबसे ज्यादा)।

एटा जिले का कड़ा रुख

एटा जिले में जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह ने पराली जलाने पर सख्ती दिखाई है।

  • ग्राम पंचायत सकीट में रामदेवी नामक महिला किसान पर पराली जलाने के लिए 5000 रुपये का जुर्माना लगाया गया।
  • जांच में पाया गया कि उन्होंने धान की पराली जलाई थी। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि पराली जलाना दंडनीय अपराध है।

पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव

  1. वायु प्रदूषण में वृद्धि:
    • पराली जलाने से पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे सूक्ष्म कण वातावरण में फैलते हैं।
    • इनसे सांस की बीमारियां, फेफड़ों में जलन और अस्थमा जैसी समस्याएं होती हैं।
  2. मिट्टी की उर्वरता कम होती है:
    • पराली जलाने से मिट्टी के अंदर के सूक्ष्म जीवाणु और पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
    • मिट्टी की गुणवत्ता गिरती है, जिससे उत्पादन प्रभावित होता है।
  3. ग्लोबल वॉर्मिंग में योगदान:
    • पराली जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, और नाइट्रस ऑक्साइड जैसे ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं।
    • ये गैसें जलवायु परिवर्तन को तेज करती हैं।
  4. स्वास्थ्य पर असर:
    • बच्चे और बुजुर्ग वायु प्रदूषण के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं।
    • लंबे समय तक प्रदूषण में रहने से दिल और दिमाग पर भी असर पड़ता है।

समाधान के उपाय

  • सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम का उपयोग बढ़ाना।
  • किसानों को पराली प्रबंधन की नई तकनीकें सिखाई जाएं।
  • कचरा जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त निगरानी और जुर्माना।
  • किसानों को पराली न जलाने पर प्रोत्साहन राशि देना।

निष्कर्ष

पराली जलाने की घटनाएं न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही हैं बल्कि लोगों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डाल रही हैं। इसे रोकने के लिए प्रशासन को तकनीकी और आर्थिक समाधान अपनाने की जरूरत है। किसानों और प्रशासन के संयुक्त प्रयास से ही इस समस्या का समाधान संभव है।

banner

You may also like