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सर्दियों के मेटिंग सीजन में साथी की खोज में जॉनी नामक बाघ ने महाराष्ट्र से तेलंगाना तक 300 किलोमीटर की लंबी यात्रा की। रेडियो कॉलर से ट्रैक किए गए इस सफर में उसने कई जंगल, जिले और हाईवे पार किए। हालांकि, यात्रा के दौरान मवेशियों का शिकार करने की घटनाएं सामने आईं, वन अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि वह इंसानों के लिए सीधा खतरा नहीं है। जॉनी का यह सफर कवल टाइगर रिजर्व तक जारी रह सकता है, जहां बाघों के संरक्षण की दिशा में काम चल रहा है।
मुख्य बिंदु:
- प्राकृतिक प्रवृत्ति:
नर बाघ साथी की तलाश में लंबी दूरी तय करते हैं। वे मादा बाघ द्वारा छोड़ी गई गंध को 100 किलोमीटर दूर तक सूंघ सकते हैं। जॉनी का यह व्यवहार उसकी उम्र (6-8 वर्ष) और मेटिंग सीजन से जुड़ा है। - रेडियो कॉलर से ट्रैकिंग:
जॉनी की यात्रा रेडियो कॉलर के जरिए ट्रैक की गई। उसने महाराष्ट्र से तेलंगाना तक का सफर तय किया, जिसमें उसने कई जिलों और हाईवे (NH-44) को पार किया। - मानव-पशु संघर्ष:
अपनी यात्रा के दौरान जॉनी ने तीन बार मवेशियों का शिकार किया। हालांकि वन अधिकारियों ने पुष्टि की है कि वह इंसानों के लिए सीधा खतरा पैदा नहीं करता। फिर भी स्थानीय लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। - आवास और संरक्षण का मुद्दा:
जॉनी का सफर उसे कवल टाइगर रिजर्व की ओर ले जा सकता है। यह रिजर्व प्रवासी बाघों को आकर्षित करता है, लेकिन स्थायी निवास की कमी और मानव प्रभाव जैसे मुद्दे इसे चुनौतीपूर्ण बनाते हैं।
यह कहानी न केवल बाघों के जीवन में रोमांच और संघर्ष दिखाती है, बल्कि मानव-पशु सह-अस्तित्व की जटिलताओं पर भी रोशनी डालती है। यह संरक्षण के प्रयासों और जागरूकता की आवश्यकता पर बल देती है।