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एक नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अगर दुनिया को 2030 तक 1.5 डिग्री सेल्सियस के जलवायु लक्ष्य को पाना है, तो चीन को अपने मौजूदा उत्सर्जन में कम से कम 66% की कमी करनी होगी। यह रिपोर्ट कार्बन एक्शन ट्रैकर (CAT) द्वारा जारी की गई है, जो जलवायु परिवर्तन पर स्वतंत्र वैज्ञानिक विश्लेषण करने वाली संस्था है।
चीन: सबसे बड़ा उत्सर्जक
- चीन दुनिया का सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक है, जो हर साल वैश्विक उत्सर्जन का लगभग 30% करता है।
- 1990 से अब तक चीन का उत्सर्जन चार गुना बढ़ चुका है।
- 2006 से चीन सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक के रूप में दर्ज है।
- हालांकि, चीन को एक “विकासशील देश” के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिससे इसे विकसित देशों की तरह उत्सर्जन कटौती के लिए बाध्य नहीं किया गया है।
चीन की जलवायु योजनाएं
- चीन ने 2030 तक अपने उत्सर्जन को शिखर पर पहुंचाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन हालिया आंकड़ों के अनुसार, यह शिखर 2025 तक आ सकता है।
- 2060 तक नेट-जीरो लक्ष्य पाने के लिए चीन को 2035 तक अपने उत्सर्जन में कम से कम 27% की कमी करनी होगी।
अन्य देशों की स्थिति
- अमेरिका:
- अमेरिका को 2030 तक 2005 के स्तर से अपने उत्सर्जन में 65% की कमी करनी होगी।
- वर्तमान में, अमेरिका 50-52% की कटौती का लक्ष्य रखता है, लेकिन राजनीतिक अस्थिरता के कारण यह चुनौतीपूर्ण लग रहा है।
- भारत:
- भारत को 2030 तक 2005 के स्तर से अधिकतम 25% उत्सर्जन वृद्धि तक सीमित रखना होगा।
- लेकिन भारत का उत्सर्जन पहले ही 2005 के स्तर से 50% अधिक है और यह तेजी से बढ़ रहा है।
वैश्विक परिदृश्य
- आईपीसीसी (IPCC) ने कहा है कि 2030 तक ग्लोबल उत्सर्जन को 2019 के स्तर से 43% कम करना होगा, तभी 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को पाना संभव होगा।
- लेकिन संयुक्त राष्ट्र के आकलनों के मुताबिक, मौजूदा जलवायु कार्यों से 2030 तक उत्सर्जन में केवल 2% की कमी होने की संभावना है।
पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव
- जलवायु परिवर्तन का असर:
- ग्लोबल वार्मिंग से समुद्र का स्तर बढ़ेगा।
- चरम मौसम की घटनाएं जैसे बाढ़, सूखा, और तूफान अधिक आम हो जाएंगी।
- कृषि उत्पादन में गिरावट, जिससे खाद्य सुरक्षा पर असर पड़ेगा।
- स्वास्थ्य पर असर:
- बढ़ते तापमान से हीटवेव और गर्मी से संबंधित बीमारियों का खतरा।
- वायु प्रदूषण से सांस की बीमारियों और हृदय रोगों में वृद्धि।
- जल स्रोतों की कमी और स्वच्छ पानी की उपलब्धता पर असर।
निष्कर्ष
चीन और अन्य बड़े उत्सर्जकों को तेजी से और ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि 1.5 डिग्री सेल्सियस का लक्ष्य बचाया जा सके। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो जलवायु संकट से निपटना लगभग असंभव हो जाएगा।