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जल प्रदूषण रोकने के लिए नए नियम लागू, उल्लंघन पर दंड का प्रावधान

by kishanchaubey
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पर्यावरण मंत्रालय ने सोमवार को जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम के तहत नियमों का उल्लंघन करने वालों पर जांच और दंड लगाने के लिए नए नियम अधिसूचित किए। ये नए नियम, “जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) (जांच की प्रक्रिया और दंड का प्रावधान) नियम, 2024” के नाम से लागू किए गए हैं और तुरंत प्रभाव से लागू होंगे।

नए नियमों का उद्देश्य

  • इस साल की शुरुआत में जल अधिनियम में संशोधन के बाद अपराधों को गैर-आपराधिक श्रेणी में रखा गया।
  • अपराधों के लिए अब जेल के बजाय आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है।
  • ‘व्हाइट’ कैटेगरी (गैर-प्रदूषणकारी) उद्योगों को जल अधिनियम के तहत स्थापित और संचालन के लिए पूर्व अनुमति लेने से छूट दी गई है।

दंड प्रक्रिया का विवरण

  • नए नियमों के तहत, केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, प्रदूषण नियंत्रण समितियां और पर्यावरण मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय अपनी-अपनी सीमाओं में अधिकृत अधिकारियों के माध्यम से शिकायतें दर्ज कर सकते हैं।
  • ये शिकायतें अधिनियम की धाराओं 41, 41A, 42, 43, 44, 45A और 48 के तहत किसी भी उल्लंघन को लेकर दर्ज की जा सकती हैं। ये धाराएं मुख्य रूप से औद्योगिक अपशिष्ट और प्रदूषकों को छोड़ने के नियमों का उल्लंघन करने से संबंधित हैं।

जांच प्रक्रिया

  1. शिकायत की सुनवाई:
    • अधिनिर्णायक अधिकारी (जॉइंट सेक्रेटरी या उससे उच्च रैंक का अधिकारी) शिकायत प्राप्त होने पर संबंधित व्यक्ति को नोटिस जारी करेगा।
    • नोटिस में उल्लंघन की जानकारी और आरोपों का विवरण दिया जाएगा।
  2. पक्ष रखने का अवसर:
    • आरोपी व्यक्ति स्वयं या अपने कानूनी प्रतिनिधि के माध्यम से अपना पक्ष रख सकता है।
  3. समय सीमा:
    • पूरी प्रक्रिया नोटिस जारी होने के छह महीने के भीतर पूरी की जाएगी।

पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव

  1. पर्यावरण पर प्रभाव:
    • औद्योगिक प्रदूषण को नियंत्रित करने से नदियों और जल स्रोतों की गुणवत्ता में सुधार होगा।
    • जल जीवन (मछलियां, अन्य जलीय जीव) के लिए बेहतर स्थिति बनेगी।
    • भूमि और जल में जहरीले पदार्थों का जमाव कम होगा।
  2. स्वास्थ्य पर प्रभाव:
    • साफ पानी की उपलब्धता से जलजनित बीमारियों (जैसे हैजा, डायरिया) में कमी आएगी।
    • प्रदूषण मुक्त जल स्रोतों से फसलों और खाने-पीने की वस्तुओं में हानिकारक तत्वों की मात्रा घटेगी।
    • लंबी अवधि में स्वच्छ जल का उपयोग मानव स्वास्थ्य और जीवन प्रत्याशा को बेहतर बनाएगा।

सरकार का संदेश

मंत्रालय का कहना है कि ये कदम उद्योगों को जिम्मेदारी के साथ काम करने के लिए प्रेरित करेंगे और प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे।

निष्कर्ष:
नए नियम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। इससे जल स्रोतों की स्वच्छता और लोगों के स्वास्थ्य में सुधार की उम्मीद की जा रही है। साथ ही, यह उद्योगों को उनके कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रति सचेत करेगा।

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