कास्पियन सागर के किनारे बसे बाकू शहर में 200 से अधिक देशों के नेता, जलवायु कार्यकर्ता, नागरिक समाज के सदस्य, और वार्ताकार एकजुट हुए हैं। इस बार की बैठक का मुख्य उद्देश्य जलवायु वित्त के लिए नई सामूहिक लक्षित लक्ष्य (New Collective Quantified Goal – NCQG) तय करना है, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधनों को सुनिश्चित कर सके।
हालांकि, इस बैठक से उम्मीदें काफी हैं, लेकिन यह सवाल भी उठ रहा है कि जलवायु वित्त का लक्ष्य कितना तेज़ और प्रभावी होगा। खासकर उन देशों के लिए, जो जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सबसे ज्यादा सामना कर रहे हैं।
असमान जलवायु जिम्मेदारियाँ
इतिहास पर नज़र डालें तो विकसित देशों ने अपने नेट-जीरो लक्ष्य तक पहुंचने में लगभग आधी सदी लगाई है। वहीं, भारत जैसे उभरते और जलवायु-संवेदनशील देश इन लक्ष्यों को सिर्फ 25 साल में पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। यह अंतर जलवायु प्रतिबद्धताओं में भारी असमानता को दर्शाता है।
COP 29 के महत्वपूर्ण मुद्दे
COP 29 (जलवायु परिवर्तन पर पक्षों का सम्मेलन) की बैठक में दो प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हो रही है:
- नई सामूहिक लक्षित लक्ष्य (NCQG) की स्थापना – जो पेरिस समझौते को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक है।
- हानि और क्षति कोष (Loss and Damage Fund) को लागू करना – खासकर जलवायु संकट से प्रभावित देशों की मदद के लिए।
हालांकि, यह कोष कई सालों से लंबित है, और इसकी देरी से कई देश निराश हैं।
कार्बन बाजार और वित्तीय सहयोग
बैठक में कार्बन बाजार पर भी सकारात्मक चर्चा हो रही है। पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 के तहत वैश्विक कार्बन बाजार का रास्ता साफ किया गया है। 2022 में इसकी रूपरेखा तैयार की गई थी, लेकिन इसे लागू करने में अभी भी कई चुनौतियां हैं, खासकर लेखांकन (accounting) के मामले में।
अगर यह बाजार सफल रहा, तो यह देशों के जलवायु योजनाओं को लागू करने की लागत में हर साल $250 बिलियन तक की कमी ला सकता है। इसके तहत 2025 तक पहला संयुक्त राष्ट्र-प्रमाणित कार्बन क्रेडिट जारी होने की उम्मीद है।
भारत की भूमिका और वित्तीय मॉडल
भारत जैसे देशों के लिए, निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देना और स्थानीय नवाचारों को मुख्यधारा में लाना बेहद जरूरी है। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सार्वजनिक-निजी-फिलांथ्रॉपिक वित्तीय मॉडल को मुख्यधारा में लाना होगा।
मिश्रित वित्तीय मॉडल का महत्व
ब्लेंडेड फाइनेंस मॉडल (मिश्रित वित्त) जलवायु परियोजनाओं के लिए एक प्रभावी समाधान साबित हो सकता है। यह मॉडल निवेश में जोखिम कम करता है और निजी पूंजी को जलवायु-लचीली परियोजनाओं में आकर्षित करता है।
एक उदाहरण है SAMRIDH ब्लेंडेड फाइनेंस फसिलिटी, जिसे USAID और IPE Global ने हेल्थकेयर के लिए लागू किया। इसने ग्रांट फंडिंग और व्यावसायिक पूंजी को मिलाकर $350 मिलियन से अधिक का निजी निवेश जुटाया। इसी तरह के मॉडल जलवायु परियोजनाओं के वित्तीय अंतर को पाटने के लिए उपयोगी हो सकते हैं।
निष्कर्ष
COP 29 से जलवायु परिवर्तन से निपटने में सच्ची एकजुटता और समानता की उम्मीद की जा रही है। अगर यह बैठक जलवायु वित्त को मुख्यधारा में ला पाती है, तो यह न केवल जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करेगी, बल्कि वैश्विक सहयोग का एक नया अध्याय भी लिखेगी।
अब सवाल यह है कि क्या COP 29 उन उम्मीदों पर खरा उतरेगा, जो जलवायु संकट का सामना कर रहे लाखों लोगों ने इससे लगाई हैं? इसके जवाब के लिए आने वाले दिनों का इंतजार करना होगा।