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पेरियार नदी में बढ़ते प्रदूषण पर NGT करेगी सुनवाई: पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा

by kishanchaubey
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कोच्चि: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) अगले सप्ताह पेरियार नदी में बढ़ते प्रदूषण से जुड़ी दो महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करेगी। एनजीटी ने मछलियों की मौत और नदी में भारी धातुओं की मौजूदगी पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सरकारी एजेंसियों से रिपोर्ट मांगी है।

पेरियार नदी में पानी की गुणवत्ता पर हालिया प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PCB) की रिपोर्ट के अनुसार, पठालम, एलूर और मुप्पथदम इलाके जिले में सबसे ज्यादा प्रदूषित हैं। इन स्थानों पर घुली हुई ऑक्सीजन (DO), फीकल (मल) सामग्री और धातुओं की मात्रा जैसे सभी प्रदूषण सूचक अत्यधिक पाए गए हैं।

पानी की गुणवत्ता वर्गीकरण के अनुसार स्थिति ‘बेस्ट डिज़िग्नेटेड यूज़’ (BDU) क्लासिफिकेशन के अनुसार, पेरियार नदी के कलाडी, KWA अलुवा, मुप्पथदम और कालमसेरी स्टेशन “क्लास C” में हैं, जबकि अलुवा में सीवेज डिस्चार्ज पॉइंट “क्लास D” में आता है। वहीं, एलूर, पठालम और पुरपल्लिकदवु क्षेत्र “क्लास E” से भी नीचे हैं, जो प्रदूषण के बहुत उच्च स्तर को दर्शाता है।

रिपोर्ट के अनुसार, पानी की गुणवत्ता वाले सभी स्थानों में बैक्टीरियल आबादी पाई गई है। कुल कोलीफॉर्म काउंट और बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) के उच्च स्तर के कारण BDU क्लासिफिकेशन प्रभावित हो रहा है। क्लास ‘A’ में सबसे अच्छे मान होते हैं, और कम DO कंटेंट, ज्यादा कोलीफॉर्म या उच्च BOD मान के कारण गुणवत्ता क्रमशः D और E तक घटती है। नदी के निचले हिस्सों, जो E या उससे नीचे की श्रेणी में आते हैं, में समुद्र के निकट होने के कारण विद्युत चालकता अधिक होती है।

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चिथरापुझा नदी में भी प्रदूषण की गंभीर समस्या रिपोर्ट के मुताबिक, चिथरापुझा नदी के इरुमपानम स्टेशन पर भी DO स्तर बहुत कम पाया गया। यहां कुल कोलीफॉर्म स्तर अधिकतम 12,000 MPN/100 ml तक पहुंच गया।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PCB) का कहना है कि कोच्चि के अंबलामेडु से गुजरने वाली चिथरापुझा नदी, जो पेरियार की सहायक नदी है, कई औद्योगिक प्रतिष्ठानों से निकले अपशिष्टों को अपने में समेटती है।

प्रदूषण का पर्यावरण और स्वास्थ्य पर असर पेरियार और चिथरापुझा जैसी नदियों का प्रदूषण न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बन गया है। नदी में कम घुली हुई ऑक्सीजन (DO) के कारण जलीय जीवों का जीवन खतरे में पड़ जाता है। साथ ही, पानी में बैक्टीरिया और भारी धातुओं की उपस्थिति से आसपास के क्षेत्रों के निवासियों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे त्वचा संक्रमण, पेट संबंधी रोग, और श्वसन संबंधी समस्याएं।

प्रदूषित पानी का सेवन और इससे जुड़ी अन्य गतिविधियों का बढ़ता जोखिम आने वाले समय में और भी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है। एनजीटी की आने वाली सुनवाई से यह उम्मीद की जा रही है कि पेरियार और इसकी सहायक नदियों में प्रदूषण रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए पानी की गुणवत्ता और जलीय जीवन को संरक्षित किया जा सके।

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