पाकिस्तान के मुल्तान में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 2000 के पार हो गया है, जबकि लाहौर का एक्यूआई 1000 से अधिक पहुंच चुका है। लाहौर के करीब 1.3 करोड़ लोग पिछले हफ्ते से प्रदूषण के भारी असर में हैं। कई दिनों से लाहौर का AQI 1000 से ऊपर बना हुआ है, जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा तय 300 के सुरक्षित स्तर से कई गुना अधिक है। यह स्तर मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है।
प्रदूषण से निपटने के लिए पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार ने 17 नवंबर तक सभी पार्क, म्यूजियम और अन्य सार्वजनिक स्थानों को बंद कर दिया है। डॉन अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, मुल्तान में PM 2.5 कणों का स्तर 947 तक पहुंच गया है, जो कि WHO के मानकों से 189.4 गुना अधिक है।
सरकार ने पंजाब के 18 जिलों में सभी सरकारी और निजी स्कूलों को भी बंद कर दिया है। लाहौर, ननकाना साहिब, गुजरांवाला, सियालकोट, फैसलाबाद, चिनिओट और झंग जैसे शहरों में लोगों के पार्क, चिड़ियाघर, संग्रहालय और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
इस बीच, पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज़ ने घोषणा की है कि वह भारत के पंजाब के मुख्यमंत्री को “क्लाइमेट डिप्लोमेसी” में सहयोग के लिए एक पत्र लिखेंगी। उनका कहना है कि दोनों देशों को मिलकर इस गंभीर समस्या का समाधान खोजना चाहिए। वहीं भारत का कहना है कि इस मामले में उसे अभी तक पाकिस्तान से कोई आधिकारिक संवाद नहीं मिला है।
वायु प्रदूषण का पर्यावरण और स्वास्थ्य पर असर
वायु प्रदूषण का इतना उच्च स्तर पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। हवा में पीएम 2.5 जैसे सूक्ष्म कणों की अधिकता सांस की बीमारियां, दिल की बीमारियां, और यहां तक कि कैंसर का भी खतरा बढ़ा देती है। इस तरह के प्रदूषण से बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर स्वास्थ्य वाले लोगों पर अधिक असर होता है। इसके अलावा, लगातार बढ़ते प्रदूषण से पारिस्थितिकी तंत्र भी बुरी तरह प्रभावित होता है, जिससे पौधों की वृद्धि में कमी, मिट्टी की उर्वरता में गिरावट और जल स्रोतों का भी प्रदूषण बढ़ जाता है।
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में उठाए गए ये कदम समस्या को अस्थायी रूप से कम कर सकते हैं, लेकिन प्रदूषण के स्थायी समाधान के लिए उद्योगों के उत्सर्जन पर सख्त नियंत्रण, वाहनों का प्रदूषण कम करना और पर्यावरण अनुकूल नीतियों को लागू करना बेहद आवश्यक है।