देश की राजधानी दिल्ली में शनिवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) खतरनाक स्तर पर पहुंच गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के सुबह 9 बजे के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के बवाना और न्यू मोती बाग इलाकों में एक्यूआई 409 दर्ज किया गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। इसके अलावा, रोहिणी में भी एक्यूआई 400 पर रहा। जब एक्यूआई 400 से ऊपर होता है, तो इसे स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है, क्योंकि यह गंभीर प्रदूषण का स्तर होता है।
दिल्ली के अन्य कई क्षेत्रों में भी एक्यूआई 300 से 400 के बीच बना हुआ है। इस श्रेणी को ‘बहुत खराब’ माना जाता है, जो खासकर बच्चों, बुजुर्गों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं वाले लोगों के लिए हानिकारक है।
पीएम 2.5 का उच्च स्तर और इसके स्वास्थ्य पर असर
दिल्ली की हवा में पीएम 2.5 कणों का उच्च स्तर है। पीएम 2.5 धूल के बहुत छोटे कण होते हैं, जो सांस के जरिए फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं। इन कणों के कारण लोगों में श्वसन समस्याएं, खांसी, अस्थमा, और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। वायु प्रदूषण का उच्च स्तर लंबे समय तक फेफड़ों और हृदय की सेहत पर गंभीर असर डाल सकता है।
दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सड़कों और निर्माण स्थलों पर नियमित पानी का छिड़काव किया जा रहा है ताकि धूल के कणों को नियंत्रित किया जा सके। लेकिन इस प्रकार के प्रयासों का प्रभाव सीमित है, और हवा की गुणवत्ता सुधारने के लिए बड़े और दीर्घकालिक उपायों की आवश्यकता है।
यमुना नदी में भी प्रदूषण का गंभीर स्तर
वायु प्रदूषण के अलावा दिल्ली में जल प्रदूषण भी चिंता का विषय बना हुआ है। कालिंदी कुंज क्षेत्र में बहने वाली यमुना नदी में भी प्रदूषण के कारण झाग की मोटी परतें दिखाई दे रही हैं। ये झाग पानी में मौजूद रसायनों और घरेलू व औद्योगिक कचरे का परिणाम हैं। प्रदूषित यमुना का पानी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और इसके संपर्क में आने से त्वचा संबंधी रोग, जल-जनित बीमारियां, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव
दिल्ली की हवा और पानी दोनों का गंभीर प्रदूषण स्तर लोगों के स्वास्थ्य पर सीधा नकारात्मक असर डाल रहा है। वायु में उच्च पीएम 2.5 के कारण श्वसन तंत्र प्रभावित होता है, जिससे अस्थमा, खांसी, और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ता है। यमुना का प्रदूषित पानी भी पर्यावरण और जन-स्वास्थ्य के लिए खतरा बना हुआ है। जल और वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है ताकि नागरिकों के स्वास्थ्य की सुरक्षा की जा सके।
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