राजस्थान के रणथंभौर नेशनल पार्क में 25 बाघों के “लापता” होने की खबर पर विवाद के बीच, वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इनमें से 10 बाघों का पता लगा लिया गया है। राजस्थान के मुख्य वन्यजीव संरक्षक पवन कुमार उपाध्याय ने सोमवार को कहा था कि जयपुर से लगभग 130 किलोमीटर दूर स्थित इस वन्यजीव अभ्यारण्य के 75 में से 25 बाघ पिछले एक साल में लापता हो गए हैं। यह पहली बार है कि इतने बड़े पैमाने पर बाघों के गायब होने की रिपोर्ट सामने आई है।
नए सर्वे और जांच समिति का गठन
पार्क के एक अधिकारी ने बताया, “रिपोर्ट के 24 घंटों के भीतर ही 10 बाघों को ट्रेस कर लिया गया है।” इस साल लंबे मानसून के बाद वन विभाग ने फिर से कैमरा ट्रैप लगाए हैं, जिनमें कई बाघ रिकॉर्ड किए गए हैं।
इस मामले की जांच के लिए एक तीन-सदस्यीय समिति बनाई गई है, जो पार्क के मॉनिटरिंग रिकॉर्ड की समीक्षा करेगी और किसी भी लापरवाही के मामले में उचित कार्रवाई की सिफारिश करेगी। समिति को दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट जमा करने को कहा गया है। ध्यान केंद्रित उन बाघों पर है जो मई से दिखाई नहीं दिए थे।
बाघों की आयु और क्षेत्र का संकट
NDTV द्वारा एक्सेस की गई 25 लापता बाघों की सूची के अनुसार, चार बाघ 17 वर्ष से अधिक उम्र के हैं। आमतौर पर जंगल में बाघ 14-15 वर्ष की आयु तक ही जीवित रहते हैं, ऐसे में कुछ बाघों की प्राकृतिक मृत्यु होने का अनुमान भी लगाया जा रहा है।
संरक्षण जीवविज्ञानी धर्मेंद्र खंडाल, जिनकी NGO “टाइगर वॉच” इस क्षेत्र में सक्रिय है, ने इस रिपोर्ट पर आश्चर्य व्यक्त किया। अधिकारियों ने कहा कि रणथंभौर में बाघों की अधिक संख्या होने से उन्हें सीमाओं को लेकर संघर्ष का सामना करना पड़ता है। 2022 की जनगणना के अनुसार, पार्क में 88 बाघ हैं, लेकिन 1,400 वर्ग किलोमीटर के इस क्षेत्र का हर हिस्सा बाघों के अनुकूल नहीं है।
सुरक्षित वन गलियारों की आवश्यकता
संरक्षकों का कहना है कि बाघों के लिए सुरक्षित वन गलियारों का निर्माण करना जरूरी है ताकि वे अन्य जंगलों में भी सुरक्षित रूप से जा सकें। रणथंभौर में बाघों की अधिक संख्या और जगह की कमी के कारण यह समस्या बढ़ रही है।
इसके अलावा, ग्रामीणों द्वारा बाघों को जहर देने की घटनाएं भी देखी गई हैं। हाल ही में एक बाघ को ग्रामीणों ने पत्थरों और कुल्हाड़ियों से मार डाला था, क्योंकि वे एक बकरीपालक की बाघ हमले में मौत से नाराज थे।
संरक्षण के लिए गंभीर कदम उठाने की जरूरत
रणथंभौर के बाघों की संख्या को बनाए रखने और उनके लिए सुरक्षित क्षेत्र उपलब्ध कराने के लिए वन विभाग और संरक्षणकर्ताओं के सामने कई चुनौतियां हैं। बाघों की सुरक्षा के लिए सुरक्षित गलियारों और बेहतर प्रबंधन की सख्त जरूरत है, ताकि वे अपनी जगह के लिए संघर्ष न करें और ग्रामीणों से उनके टकराव को कम किया जा सके।