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इटारसी रेलवे स्टेशन पर प्रदूषण का खतरा: लगातार उठी आवाज़ों से हरकत में आए रेलवे अधिकारी

by reporter
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इटारसी, मध्य प्रदेश: इटारसी मध्य प्रदेश का एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है, जहाँ से प्रतिदिन हजारों यात्री यात्रा करते हैं। यह स्टेशन पूर्व-पश्चिम और उत्तर-दक्षिण के मुख्य रेलवे मार्गों के बीच एक महत्वपूर्ण जुड़ाव बिंदु है। इटारसी स्टेशन के नजदीक एक बड़े गोदाम में प्रतिदिन हजारों बोरी माल—मुख्य रूप से सीमेंट और कृषि में उपयोग होने वाले उर्वरक—लोड और अनलोड किए जाते हैं, जिससे चारों ओर धूल का गुबार छा जाता है। यह धूल वहां काम कर रहे मजदूरों, यात्रियों, और आसपास के निवासियों के फेफड़ों में जाकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन रही है।

राहुल शर्मा और उनकी रिपोर्टिंग की भूमिका

सितंबर 2022 में, भारतीय पत्रकार राहुल शर्मा को “क्लीन एयर कैटालिस्ट प्रोजेक्ट” के तहत इटारसी में वायु प्रदूषण पर रिपोर्टिंग के लिए EJN (एंड्रोनिकस जर्नलिस्ट्स नेटवर्क) की तरफ से अनुदान प्राप्त हुआ। इसके बाद उनकी रिपोर्ट एक डिजिटल न्यूज़ पोर्टल “द सूत्र” पर हिंदी में 29 नवंबर 2022 को प्रकाशित हुई। राहुल ने इससे पहले भी इटारसी स्टेशन के माल गोदाम में होने वाले प्रदूषण पर रिपोर्टिंग की थी, जिसमें रेलवे द्वारा इस समस्या को नजरअंदाज करने की बात सामने आई थी। उनकी रिपोर्ट्स ने राज्यभर के पर्यावरण कार्यकर्ताओं का ध्यान आकर्षित किया और अंततः नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) तक ये मामला पहुंचा, जिससे रेलवे पर कार्रवाई करने का दबाव बना।

इटारसी में प्रदूषण का आंकलन और स्वास्थ्य पर प्रभाव

राहुल शर्मा ने अपनी रिपोर्ट के दौरान पाया कि इटारसी जैसे छोटे शहरों में वायु गुणवत्ता के आंकड़े उपलब्ध नहीं होते, जबकि बड़े शहरों जैसे भोपाल और इंदौर में यह आंकड़े आसानी से मिल जाते हैं। इटारसी जैसे शहरों में चल रहे बड़े निर्माण कार्यों के बीच वायु प्रदूषण का आंकलन करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने देखा कि गोदाम में काम कर रहे मजदूरों को धूल के कारण आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

सीमेंट की धूल में कई हानिकारक रसायन होते हैं जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड, क्रिस्टलीय सिलिका और PM10, PM2.5 जैसे सूक्ष्म कण। ये कण सांस के साथ फेफड़ों में प्रवेश कर जाते हैं और अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों की अन्य बीमारियों का कारण बनते हैं। 2017 में एक शोधकर्ता किरण सिंह ने मध्य प्रदेश के सतना जिले में सीमेंट धूल प्रदूषण के प्रभाव का अध्ययन किया था, जिसमें पाया गया कि इससे फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों और आसपास के समुदायों में श्वसन समस्याएं बढ़ रही हैं।

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प्रदूषण मापने का तरीका और निष्कर्ष

राहुल शर्मा ने हैंडहेल्ड एयर क्वालिटी सेंसर का उपयोग करते हुए गोदाम के आसपास PM10 का स्तर 800 से अधिक मापा, जो खतरनाक स्थिति को दर्शाता है। उन्होंने इस बार CAC वैज्ञानिकों की सलाह से वैज्ञानिक तरीके से AQI का माप किया। जुलाई 2022 में पहले माप के दौरान, उन्होंने पाया कि ट्रक के लोड-अनलोड होने के तुरंत बाद प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। इस बार भी जब उन्होंने सही तरीके से मापा, तो PM2.5 और PM10 दोनों ही खतरनाक स्तर पर थे, जो मानकों से कहीं अधिक थे।

जनता और सरकार के बीच जागरूकता की कमी

राहुल शर्मा का मानना है कि पत्रकारों और आम जनता को वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर प्रभाव के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं होती है। वर्तमान में केवल बड़े शहरों में वायु गुणवत्ता का डाटा मिलता है, जो पर्याप्त नहीं है। इस कारण लोग विभिन्न गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।

NGT में केस और सरकारी कार्रवाई की मांग

राहुल की रिपोर्ट ने इटारसी और भोपाल में इस मुद्दे पर चर्चा शुरू कर दी। भोपाल के पर्यावरण कार्यकर्ता डॉ. सुभाष सी. पांडे ने उनकी रिपोर्ट को देखकर ध्यान दिया। डॉ. पांडे ने पहले भी भोपाल के कई इलाकों में बढ़ते प्रदूषण के बारे में सूचनाएं दी थीं, लेकिन उन्हें इटारसी में भी प्रदूषण की गंभीरता का अंदाजा नहीं था।

राहुल शर्मा ने उनके साथ मिलकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दाखिल करने का फैसला किया। 19 अक्टूबर 2022 को वकील आयुष गुप्ता ने केस फाइल किया, जिसमें मांग की गई कि प्रदूषण फैलाने वाले गोदाम को बंद किया जाए। NGT ने मामले को गंभीरता से लेते हुए रेलवे के गोदाम का निरीक्षण करने के लिए एक जांच टीम का गठन किया और चार हफ्तों में रिपोर्ट जमा करने के निर्देश दिए।

NGT की जांच और निष्कर्ष

12 दिसंबर 2022 को छह सदस्यों वाली सरकारी टीम ने अपनी रिपोर्ट दी, जिसमें राहुल की रिपोर्ट की पुष्टि हुई। उन्होंने लिखा कि गोदाम के परिसर में ट्रकों की लोड-अनलोडिंग के दौरान भारी मात्रा में धूल और प्रदूषण फैलता है। उन्होंने यह भी पाया कि रेलवे ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कोई बुनियादी सुविधाएं, जैसे कि सफाई के लिए मैनुअल या मैकेनिकल प्रणाली, विकसित नहीं की है। साथ ही, मजदूरों के लिए शौचालय और आश्रय जैसी आवश्यक सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं थीं।

इटारसी में रेलवे गोदाम के प्रदूषण की समस्या को उठाने में राहुल शर्मा की लगातार रिपोर्टिंग ने सरकार और जनता का ध्यान इस ओर आकर्षित किया। उनकी मेहनत और पर्यावरण कार्यकर्ताओं के सहयोग से, इस मामले में उचित कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त हुआ। वायु प्रदूषण से संबंधित इस प्रकार की रिपोर्ट्स देश में पर्यावरण और स्वास्थ्य के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।

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