नई दिल्ली: इस साल दिवाली के बाद, दिल्ली की हवा एक बार फिर से प्रदूषण के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। 1 नवंबर को, यानी दिवाली के अगले दिन, राजधानी का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 351 तक पहुंच गया, जो “बहुत खराब” श्रेणी में आता है। यह प्रदूषण स्तर इस बात की ओर इशारा करता है कि दिल्ली में रहने वाले लोगों के लिए हवा में सांस लेना कितना हानिकारक हो सकता है। सरकार द्वारा लगाए गए पटाखों पर प्रतिबंध के बावजूद, दिल्ली के कई इलाकों में प्रतिबंध का उल्लंघन करते हुए लोगों ने जमकर पटाखे जलाए, जिससे वायु की गुणवत्ता और गिर गई।
प्रदूषण के बढ़ने के कारण:
दिवाली के दौरान बढ़ा वायु प्रदूषण केवल पटाखों के कारण ही नहीं होता। सर्दियों की शुरुआत के साथ ठंडी, घनी हवा प्रदूषकों को फैलने से रोकती है। इसके अलावा, दिल्ली की सड़कों पर जमी धूल, वाहन उत्सर्जन, और पंजाब व हरियाणा में जलाई जा रही पराली ने भी प्रदूषण को और बढ़ावा दिया है। हर साल इस समय के आसपास प्रदूषण का स्तर इसी तरह से बढ़ जाता है।
इस साल दिवाली और दिवाली से एक दिन पहले का 24-घंटे का औसत AQI पिछले दो वर्षों की तुलना में अधिक खराब रहा है। हालांकि, दिवाली के बाद शुक्रवार की सुबह हवा की गति में सुधार के कारण प्रदूषण का स्तर उतना खतरनाक नहीं बढ़ा जितना हाल के वर्षों में देखा गया था। इस बार दिवाली के बाद का औसत AQI 339 रहा, जबकि पिछले साल यह 358 था। सुबह के समय हवा की गति 10 किलोमीटर प्रति घंटे तक बढ़ी, जिससे प्रदूषक कणों के फैलने में मदद मिली।
AQI का मतलब और इसका महत्व:
AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) एक संख्या है जो वायु की गुणवत्ता का स्तर बताती है। भारत में 2014 में इसे एक रंग-कोडेड प्रणाली के तहत लागू किया गया ताकि आम लोग और सरकार वायु प्रदूषण की गंभीरता को समझ सकें और आवश्यक कदम उठा सकें। AQI को छह श्रेणियों में बांटा गया है: अच्छा (0-50), संतोषजनक (50-100), मध्यम (100-200), खराब (200-300), बहुत खराब (300-400), और गंभीर (400-500)। जैसे-जैसे AQI बढ़ता है, वायु की गुणवत्ता और खराब होती जाती है।
प्रदूषक PM 2.5 और PM 10 का स्वास्थ्य पर प्रभाव:
वायु प्रदूषण के कारण सबसे ज्यादा हानिकारक छोटे कण होते हैं, जिनमें PM 2.5 और PM 10 प्रमुख हैं। PM 2.5 के कण इतने छोटे होते हैं कि ये नाक और गले से होते हुए सीधे फेफड़ों और रक्त प्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं। इसके कारण अस्थमा, दिल के दौरे, ब्रोंकाइटिस और अन्य श्वसन समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। PM 10 के कण भी सांस की नली में रुकावट डालते हैं और कई एलर्जी या श्वसन रोगों का कारण बन सकते हैं। प्रदूषण के इन स्तरों के कारण बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों के लिए हवा में सांस लेना विशेष रूप से हानिकारक हो जाता है।
सरकारी कदम और नीतियाँ:
वायु की गुणवत्ता के बिगड़ते ही, दिल्ली में सरकार ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत कई आपातकालीन उपाय लागू किए हैं। GRAP के तहत कोयले और लकड़ी के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है, और डीजल जनरेटर के इस्तेमाल को भी सीमित कर दिया गया है, जो केवल आपातकालीन सेवाओं के लिए ही उपयोग किए जा सकते हैं। इसके अलावा, निर्माण स्थलों और खुले स्थानों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है ताकि धूल के कण हवा में न फैले।
दिल्ली की हवा का यह हाल हर साल की तरह एक गंभीर चेतावनी है कि हमें प्रदूषण को रोकने के लिए और सख्त कदम उठाने की जरूरत है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय रहते इन समस्याओं पर नियंत्रण नहीं किया गया तो यह स्थिति और खराब हो सकती है।