इस हफ्ते दिवाली के त्योहार के बीच, दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। सोमवार को दिल्ली देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा, जहाँ औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 304 पर रिकॉर्ड किया गया, जो “बहुत खराब” श्रेणी में आता है। शहर के कई हिस्सों में AQI विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सुरक्षित सीमा से 20 गुना ज्यादा था।
वायु प्रदूषण के कारण और इसके स्वास्थ्य पर प्रभाव
दिल्ली की खराब वायु गुणवत्ता से लोग लंबे समय तक सांस की समस्याओं का सामना कर सकते हैं। “बहुत खराब” हवा का लगातार संपर्क त्वचा और आंखों में जलन, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) और कैंसर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
मंगलवार दोपहर कुछ इलाकों में वायु गुणवत्ता “खराब” श्रेणी (AQI 252) तक सुधरी, लेकिन दिवाली पर पटाखों और पंजाब व हरियाणा में पराली जलाने से 31 अक्टूबर को “गंभीर” स्तर तक खराब होने की आशंका है। भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान ने अगले छह दिनों तक “गंभीर” से “बहुत खराब” वायु गुणवत्ता की संभावना जताई है।
दिवाली के दौरान प्रदूषण का खतरा
दिल्ली में इस बार लोग रोशनी से सजी बाजारों में मास्क पहनकर खरीदारी कर रहे हैं। 57 वर्षीय रानू सिंह ने बताया, “हमने अपने घर के लिए एक और एयर प्यूरीफायर खरीदा है ताकि सुरक्षित रहें। सांस लेना अब मुश्किल होता जा रहा है, लेकिन इस शहर को छोड़ने का विकल्प हमारे पास नहीं है।”
दिल्ली के करीब 3.5 करोड़ लोग इस जहरीली हवा को रोज़ाना सांस में ले रहे हैं। अस्पतालों में सांस लेने की समस्या लेकर आने वाले मरीजों की संख्या में 30 से 40 प्रतिशत का इजाफा देखा जा रहा है, जिनमें अधिकतर बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं।
गुरुग्राम के एक अस्पताल में सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर अरुणेश कुमार ने बताया कि, “हम सांस की बीमारियों के मामलों में भारी बढ़ोतरी देख रहे हैं, जो वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी के कारण हो रही है।” ठंडे मौसम और हवा के धीमे बहाव के कारण प्रदूषक तत्व, जैसे PM2.5, PM10 और NO2 हवा में फंस जाते हैं और प्रदूषण को और बढ़ाते हैं।
प्रदूषण नियंत्रण के प्रयास
दिल्ली सरकार ने इस महीने की शुरुआत में राजधानी में सभी प्रकार के पटाखों के निर्माण, बिक्री, भंडारण और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है। लेकिन, दशहरे के बाद से ही हर रात पटाखे जलते देखे जा रहे हैं, जिससे प्रतिबंध का प्रभाव कम नजर आ रहा है। 2017 में सुप्रीम कोर्ट की जांच के बाद से दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है।
2018 में, कोर्ट ने पारंपरिक पटाखों पर प्रतिबंध लगाते हुए केवल “ग्रीन” पटाखों की अनुमति दी थी। 2023 में दिवाली के बाद दिल्ली का AQI 445 से 520 के बीच रिकॉर्ड किया गया था, जो “गंभीर” श्रेणी में आता है।
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए “ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान” (GRAP) लागू किया है। सोमवार को मुख्यमंत्री अतिशी ने घोषणा की कि राज्य 10,000 सिविल स्वयंसेवकों को वायु प्रदूषण कम करने के लिए परिवहन विभाग के साथ फिर से नियुक्त करेगा। उन्होंने कहा कि शहर में 13 प्रदूषण हॉटस्पॉट और 27 अतिरिक्त जगहों की निगरानी की जा रही है।
राज्य के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने पिछले हफ्ते कहा था कि “मौसम में बदलाव के कारण आने वाले 15 दिनों में प्रदूषण में वृद्धि की संभावना है।”
पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव
दिल्ली का वायु प्रदूषण न केवल पर्यावरण बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा है। यह प्रदूषण बच्चों और बुजुर्गों में सांस की समस्या, दिल की बीमारियाँ, और कैंसर का खतरा बढ़ाता है। प्रदूषक तत्व हवा में फंसकर लोगों में त्वचा और आंखों की जलन, नाक बंद और मानसिक थकावट जैसी समस्याएं पैदा कर रहे हैं।
दुनिया भर में वायु प्रदूषण से पिछले 40 वर्षों में 13.5 करोड़ लोगों की असामयिक मौतें हुई हैं, और दिल्ली की स्थिति इस समस्या की गंभीरता को उजागर करती है। लंबे समय तक वायु प्रदूषण से संपर्क में रहने से कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ता है। दिल्ली के लोग सालों से खतरनाक वायु गुणवत्ता से जूझ रहे हैं, और सर्दियों में पराली जलाने और पटाखों के कारण यह स्थिति और भी बिगड़ जाती है।