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दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण: गंभीर स्तर पर पहुंची हवा की गुणवत्ता, सेहत पर पड़ रहा बुरा असर

by reporter
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भारत की राजधानी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता पिछले कुछ दिनों से बेहद खराब स्तर पर पहुंच गई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, कुछ जगहों पर प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा सुझाई गई सुरक्षित सीमा से 25-30 गुना ज्यादा हो चुका है।

प्रदूषण के कारण:
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में स्थिति और भी खराब हो सकती है। इसकी वजह है मौसमी स्थिति, दिवाली पर पटाखों का इस्तेमाल और आसपास के राज्यों में पराली जलाने की समस्या। हर साल अक्टूबर से जनवरी के बीच दिल्ली और उत्तर भारत के कई शहरों में प्रदूषण के स्तर में भारी बढ़ोतरी होती है, जिससे स्कूल और दफ्तर बंद करना पड़ता है और व्यापार में भी रुकावट आती है।

प्रदूषण के खतरनाक स्तर:
सरकारी वेबसाइट SAFAR के अनुसार, सोमवार को दिल्ली के कुछ इलाकों में PM 2.5 के स्तर 350 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुँच गए। PM 2.5 छोटे कण होते हैं जो फेफड़ों तक पहुँचकर कई बीमारियाँ पैदा कर सकते हैं। जब PM 2.5 का स्तर 300-400 के बीच होता है तो इसे ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रखा जाता है, और 400-500 के बीच पहुँचने पर यह ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है।

दिल्ली में प्रदूषण के प्रमुख कारण:
हर साल सर्दियों में दिल्ली धुंध की मोटी परत से ढक जाती है। इसके पीछे धुआं, धूल, कम हवा की गति, गाड़ियों का उत्सर्जन और आसपास के राज्यों में पराली जलाना मुख्य कारण हैं। खासकर पंजाब और हरियाणा के किसान अपने खेतों को साफ करने के लिए नवंबर और दिसंबर में पराली जलाते हैं। किसान समूहों का कहना है कि उन्हें पराली जलाने के विकल्प अपनाने के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता की जरूरत है, लेकिन सरकारी योजनाएं इस दिशा में अब तक बहुत कारगर साबित नहीं हुई हैं।

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दिवाली और पटाखों का असर:
दिवाली के दौरान पटाखों से निकलने वाला धुआं भी प्रदूषण की समस्या को बढ़ाता है। इस बार दिल्ली सरकार ने दिवाली के मद्देनजर पटाखों के निर्माण, भंडारण और बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया है। हालांकि, पिछले सालों में ऐसे प्रतिबंध पूरी तरह से सफल नहीं हुए हैं क्योंकि लोग पटाखे दूसरे राज्यों से भी मंगवा लेते हैं।

प्रदूषण से निपटने के उपाय:
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) लागू किया है। इस योजना के तहत कोयला और लकड़ी जलाने वाली सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है, साथ ही गैर-आपातकालीन सेवाओं के लिए डीजल जनरेटर के उपयोग पर भी प्रतिबंध है। इसके अलावा, दिल्ली में निर्माण कार्यों पर भी रोक लगा दी गई है और लोगों से वाहनों का इस्तेमाल कम करने और पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करने की अपील की गई है।

पर्यावरण और सेहत पर प्रभाव:
प्रदूषित हवा का स्वास्थ्य पर बेहद बुरा असर पड़ता है। PM 2.5 जैसे छोटे कण सीधे फेफड़ों तक पहुँचकर सांस की गंभीर बीमारियाँ पैदा कर सकते हैं। यह फेफड़ों के कैंसर, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और हृदय रोग जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है। बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों पर इसका सबसे ज्यादा असर होता है। इसके अलावा, प्रदूषण का असर मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है, जिससे डिप्रेशन और चिंता जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।

दिल्ली में वायु प्रदूषण की बढ़ती समस्या से निपटना बहुत बड़ी चुनौती बन चुका है। मौजूदा स्थिति को देखते हुए लोगों को सलाह दी जाती है कि वे घर के अंदर ही रहें और बाहर जाने से बचें।

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