गढ़वाल वन प्रभाग पौड़ी और भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से पौड़ी में वन्यजीव अपराधों और तस्करी को रोकने के लिए एक विशेष फॉरेंसिक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य वन विभाग के कर्मचारियों को वन्यजीव कानून, अपराध जांच, फॉरेंसिक तकनीक और अदालत में अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं की जानकारी देना था, ताकि वन्यजीव संरक्षण को मजबूत किया जा सके।
वन्यजीव कानून और फॉरेंसिक जांच पर दिया गया प्रशिक्षण
कार्यशाला में वन विभाग के कर्मचारियों को वन्यजीव अपराधों के मामले में फॉरेंसिक और साक्ष्य संग्रह के महत्व को समझाया गया। भारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञ डॉ. सीपी शर्मा ने वन्यजीव कानून, अवैध व्यापार, तस्करी और अदालत में अपराध साबित करने के विभिन्न कानूनी पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अपराध स्थल की जांच कैसे की जाए, साक्ष्य कैसे एकत्र किए जाएं, और फॉरेंसिक विज्ञान के माध्यम से उन्हें कैसे विश्लेषित किया जाए, ताकि अपराधियों के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश किए जा सकें।
वास्तविक समस्याओं पर आधारित प्रशिक्षण
कार्यशाला के दौरान वन्यजीव अपराधों की वास्तविक घटनाओं पर भी चर्चा की गई और कर्मचारियों को अपराध स्थल पर साक्ष्य एकत्रित करने की व्यवहारिक जानकारी दी गई। विशेषज्ञों ने उदाहरणों के माध्यम से बताया कि कैसे तस्करी और अवैध शिकार के मामलों में वन्यजीव फॉरेंसिक का उपयोग किया जा सकता है। यह प्रशिक्षण कर्मचारियों के लिए काफी लाभकारी रहा, जिससे उन्हें जमीनी स्तर पर आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार किया गया।
वन्यजीव फॉरेंसिक की भूमिका और महत्व
वन्यजीव फॉरेंसिक वन विभाग के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो अवैध वन्यजीव व्यापार, शिकार और तस्करी जैसे मामलों की जांच में मदद करता है। इसके माध्यम से वन्यजीव उत्पादों के स्रोत का पता लगाकर प्रजातियों की पहचान की जा सकती है, जिससे अपराधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। यह प्रक्रिया वन्यजीवों के संरक्षण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह तस्करी के नेटवर्क को तोड़ने और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने में सहायक है।
विभागीय कर्मचारियों को सशक्त बनाना मुख्य उद्देश्य
गढ़वाल वन प्रभाग पौड़ी के डीएफओ, स्वप्निल अनिरुद्ध ने बताया कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य विभागीय कर्मचारियों को अधिक से अधिक जानकारी देना और उन्हें सशक्त बनाना था, ताकि वे भविष्य में होने वाली घटनाओं का प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सकें। उन्होंने कहा कि वन्यजीव अपराधों की जांच के दौरान कर्मचारियों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए इस कार्यशाला के माध्यम से सभी पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी गई, जिससे कर्मचारियों को किसी प्रकार की कोई समस्या न हो और वे प्रभावी रूप से अपना कार्य कर सकें।
इस कार्यशाला से यह उम्मीद की जाती है कि वन विभाग के कर्मचारी अधिक जागरूक और प्रशिक्षित होंगे, जिससे वन्यजीव अपराधों पर नियंत्रण पाने में मदद मिलेगी।