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मुंबई में बढ़ता वायु प्रदूषण: स्मॉग से ढका शहर, AQI ‘मॉडरेट’ और ‘पुअर’ श्रेणी में पहुँचा

by reporter
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मुंबई: सोमवार की सुबह मुंबई के निवासियों ने घने स्मॉग की चादर के साथ की, जिससे शहर की वायु गुणवत्ता बेहद खराब हो गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, सुबह 8 बजे का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 131 दर्ज किया गया, जो ‘मॉडरेट’ श्रेणी में आता है। प्रदूषण के इस बढ़ते स्तर से लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों पर गंभीर असर पड़ रहा है।

प्रदूषण पर स्थानीय निवासियों की चिंता

मुंबई के निवासी बढ़ते प्रदूषण से चिंतित हैं और इसका सामना करने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “शहर में प्रदूषण की स्थिति खराब होती जा रही है। हर दिन नई गाड़ियाँ और बाइक सड़कों पर उतर रही हैं, जो स्थिति को और बिगाड़ रही हैं। हमें समय रहते कदम उठाने होंगे, ताकि हम भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित पर्यावरण बना सकें।”

संजय कथूरिया ने भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, “प्रदूषण की समस्या हर दिन बढ़ती जा रही है। यह सिर्फ मुंबई की ही नहीं, बल्कि पूरे देश की समस्या है। दिवाली के बाद स्थिति और खराब होगी और सुबह की सैर करना भी मुश्किल हो गया है। हमें प्रदूषण को रोकने के लिए अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।”

AQI में बढ़ोतरी: ‘पुअर’ श्रेणी में पहुँचा प्रदूषण स्तर

27 अक्टूबर को मुंबई ने इस साल का सबसे गंभीर वायु प्रदूषण दर्ज किया, जब AQI 202 तक पहुँच गया, जो ‘पुअर’ श्रेणी में आता है। CPCB के अनुसार, ‘पुअर’ श्रेणी (201-300) का AQI स्तर लंबे समय तक संपर्क में रहने पर सांस लेने में तकलीफ और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से खतरनाक है, जिन्हें पहले से श्वसन संबंधी बीमारियां हैं।

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रविवार को शहर के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता ‘मॉडरेट’ श्रेणी में दर्ज की गई, जिसमें बायकुला, चेंबूर, छत्रपति शिवाजी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, डियोनार, घाटकोपर और कांदिवली पश्चिम शामिल हैं। ‘मॉडरेट’ श्रेणी (101-200) उन लोगों के लिए सांस लेने में कठिनाई का कारण बन सकती है, जिन्हें पहले से फेफड़े, अस्थमा या हृदय रोग की समस्या है।

प्रदूषण के कारणों पर भी उठे सवाल

शहर में वायु गुणवत्ता पर सबसे बड़ा प्रभाव वाहनों से निकलने वाले धुएं, औद्योगिक उत्सर्जन और निर्माण कार्यों का है। मरीन ड्राइव पर एक व्यक्ति ने बताया कि यहां का प्रदूषण मुख्य रूप से चल रहे निर्माण कार्यों के कारण है। उन्होंने कहा, “पहले ऐसा नहीं था। अब धूल और प्रदूषण बढ़ गए हैं, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं। मैं यहां रोजाना ताजगी महसूस करने आता हूँ, लेकिन अब यहां भी राहत नहीं मिलती।”

पर्यावरण पर असर: संतुलन बिगड़ने की आशंका

बढ़ता प्रदूषण न केवल हवा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहा है, बल्कि पर्यावरण के संतुलन पर भी असर डाल रहा है। प्रदूषण के कारण हवा में हानिकारक तत्वों का स्तर बढ़ रहा है, जो पेड़-पौधों, मिट्टी और जल स्रोतों को भी नुकसान पहुंचा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदूषण के इस स्तर पर अगर काबू नहीं पाया गया, तो जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।

स्वास्थ्य पर प्रदूषण के गंभीर खतरे

मुंबई के कई क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो रही है। ‘मॉडरेट’ और ‘पुअर’ श्रेणियों के AQI स्तर से लंबे समय तक संपर्क में रहने पर सांस की समस्याएं, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और हृदय संबंधी रोगों का खतरा बढ़ सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और पहले से बीमार लोगों के लिए यह स्थिति और अधिक खतरनाक हो सकती है।

विशेषज्ञ यह भी चेतावनी देते हैं कि लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है और हृदय रोग, फेफड़ों के कैंसर, और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है।

विशेषज्ञों के सुझाव और भविष्य के कदम

विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण के खिलाफ तुरंत सख्त कदम उठाने की जरूरत है। सरकार को वाहनों के प्रदूषण, औद्योगिक उत्सर्जन और निर्माण कार्यों पर सख्त नियम लागू करने चाहिए। इसके अलावा, सभी नागरिकों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी, जैसे कि निजी वाहनों की जगह सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना, प्रदूषण फैलाने वाले साधनों का कम से कम उपयोग करना, और अपने आस-पास के पर्यावरण को स्वच्छ रखना।

संजय कथूरिया जैसे निवासियों ने इस पर जोर दिया कि यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है। “हमें अपने पर्यावरण की रक्षा के लिए खुद कदम उठाने होंगे, ताकि आने वाली पीढ़ियों को हम एक स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण दे सकें,” उन्होंने कहा।

दिवाली के बाद प्रदूषण और बढ़ने की आशंका

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि दिवाली के बाद वायु गुणवत्ता में और गिरावट आने की संभावना है, क्योंकि पटाखों के धुएं से AQI का स्तर और बढ़ सकता है। इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लोगों को पटाखों के इस्तेमाल को कम करने और पर्यावरण के प्रति जागरूक रहने की सलाह दी जा रही है। साथ ही, प्रदूषण के खिलाफ प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है, ताकि हम एक स्वस्थ और स्वच्छ भविष्य की ओर बढ़ सकें।

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