दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) द्वारा निर्धारित गुणवत्ता मानकों पर राजधानी के 56% सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) असफल पाए गए हैं। कुल 37 में से 21 STPs प्रदूषण नियंत्रण के मापदंडों को पूरा नहीं कर पाए, जिनमें मुख्य रूप से फीकल कोलीफॉर्म, बायोकैमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD), टोटल सस्पेंडेड सॉलिड्स (TSS), घुले हुए फॉस्फेट्स और तेल एवं ग्रीस जैसे तत्व शामिल हैं।
परीक्षण में असफल रहे STPs में केशोपुर, निलोठी, नजफगढ़, पप्पन कलां, रोहिणी, नरेला, यमुना विहार, महरौली, वसंत कुंज, मोलरबंद, ओखला और घिटोरनी जैसे क्षेत्रों में स्थित प्लांट शामिल हैं।
इन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों से निकलने वाला अपशिष्ट जल अंततः यमुना नदी में पहुंचता है, जिसका उपयोग नदी किनारे के कुछ किसान सब्जियों की खेती के लिए करते हैं। यह जल प्रदूषण का बड़ा स्रोत बनकर किसानों और आम जनता के लिए स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न कर सकता है।
यह स्थिति यमुना नदी की स्वच्छता और दिल्ली में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक बड़ी चुनौती पेश करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक इन STPs को मानकों के अनुरूप नहीं सुधारा जाता, तब तक यमुना के प्रदूषण पर काबू पाना मुश्किल होगा।