उत्तर भारत में इस बार सर्दियों का मिजाज बदला-बदला नजर आ रहा है। आमतौर पर नवंबर से ही उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी शुरू हो जाती है, लेकिन दिसंबर के अंत तक भी व्यापक बर्फबारी नहीं हो पाई। मौसम विभाग के अनुसार इसकी मुख्य वजह इस साल पश्चिमी विक्षोभों का कमजोर रहना है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 30 दिसंबर से 2 जनवरी के बीच जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई है। वहीं 30 दिसंबर को पंजाब, हरियाणा-चंडीगढ़ और पश्चिमी राजस्थान में तथा 1 जनवरी 2026 को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है।
पश्चिमी विक्षोभ भूमध्य सागर के आसपास बनते हैं और नमी लेकर हिमालय तक पहुंचते हैं। जब ये मजबूत होते हैं, तो पहाड़ों में भारी बर्फबारी और मैदानी इलाकों में कड़ाके की ठंड पड़ती है। इस साल आए अधिकतर पश्चिमी विक्षोभ कमजोर रहे, जिनमें नमी और ऊर्जा की कमी रही। नतीजतन पहाड़ों में केवल हल्की बारिश या नाममात्र की बर्फबारी हुई और कई जगह सूखी ठंड का असर देखा गया।
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, उपोष्णकटिबंधीय पश्चिमी जेट स्ट्रीम इस समय काफी तेज जरूर है, लेकिन इसकी स्थिति ऐसी नहीं है कि वह पश्चिमी विक्षोभों को मजबूत बना सके। इसका सीधा असर ठंड और बर्फबारी दोनों पर पड़ा है।
उत्तराखंड के केदारनाथ, बद्रीनाथ और औली जैसे प्रमुख पर्यटन स्थल अब भी बर्फबारी का इंतजार कर रहे हैं, जिससे पर्यटन से जुड़े लोगों की चिंता बढ़ी है। हिमाचल प्रदेश और कश्मीर के ऊंचाई वाले इलाकों में हालांकि तापमान शून्य से नीचे चला गया है, जिससे नए साल के आसपास बर्फबारी के अनुकूल हालात बन रहे हैं।
उधर, मैदानी इलाकों में घना और बेहद घना कोहरा छाया हुआ है। दिल्ली-एनसीआर समेत पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में वायु गुणवत्ता भी बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गई है।
मौसम विभाग का कहना है कि जनवरी की शुरुआत से ठंड बढ़ेगी और पश्चिमी हिमालय में अच्छी बर्फबारी देखने को मिल सकती है, जिससे पहाड़ों और मैदानी इलाकों दोनों में सर्दी का असर तेज होगा।
