इस साल प्याज ने रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन किया है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के तृतीय अग्रिम अनुमान (25 नवंबर 2025) के अनुसार 2024-25 में प्याज का उत्पादन 307.89 लाख टन होने का अनुमान है, जो पिछले साल के 242.67 लाख टन से 26.9% (65.22 लाख टन) अधिक है। अच्छी बारिश और पिछले साल ऊँचे दामों के कारण किसानों ने बड़े पैमाने पर प्याज लगाया, खासकर महाराष्ट्र में।
लेकिन बंपर पैदावार ने कीमतें ध्वस्त कर दीं। एगमार्कनेट के अनुसार 25 नवंबर को थोक भाव सिर्फ 1,222 रु/क्विंटल (यानी करीब 12 रु/किलो) रहे, जबकि एक दिन पहले 938 रु/क्विंटल तक गिर गए। कई मंडियों में तो 5-8 रु/किलो तक भाव सुनाई दे रहा है। कोल्ड स्टोरेज की भारी कमी के कारण किसान मजबूरन सस्ते में बेच रहे हैं।
प्याज-लहसुन अनुसंधान निदेशालय, पुणे के निदेशक डॉ. विजय महाजन ने बताया, “अधिक आवक से बाजार ढह गया। देश में पर्याप्त कोल्ड स्टोरेज नहीं हैं, सिर्फ नासिक में बड़ा स्टोरेज है, दिल्ली में बन रहा है।” कई किसान पहले ही प्याज छोड़ चुके हैं। मध्यप्रदेश के इंदौर के किसान बबलू जाधव ने कहा, “एक बीघा में 45-50 हजार रु खर्च, मंडी में 25-30 हजार का नुकसान – दो साल से प्याज बंद कर दिया।”
बागवानी फसलों में भी खुशखबरी है। कुल उत्पादन 143 लाख टन बढ़कर 3,690.55 लाख टन होने का अनुमान है। सब्जियाँ 4.09% बढ़कर 2,156.84 लाख टन, फल 5.12% बढ़कर 1,187.60 लाख टन पहुँचेंगे। आलू, केला, आम, पपीता में अच्छी वृद्धि है। लहसुन की खेती भी बढ़ी है; राजस्थान के कोटा में पिछले साल 7-12 हजार रु/क्विंटल मिलने से किसान उत्साहित हैं।
बंपर फसल के बावजूद किसानों के चेहरे मुरझाए हैं – प्रकृति ने साथ दिया, लेकिन बाजार ने धोखा।
