दुनिया के द्वीपों पर रहने वाली छिपकलियाँ, कछुए, साँप और कोमोडो ड्रैगन जैसी अनोखी सरीसृप प्रजातियाँ तेजी से लुप्त हो रही हैं, लेकिन वैज्ञानिक शोध में इन्हें लगभग पूरी तरह नजरअंदाज किया जा रहा है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नेतृत्व में हुए एक नए वैश्विक अध्ययन ने यह चौंकाने वाला सच उजागर किया है।
जर्नल कंजर्वेशन साइंस एंड प्रैक्टिस में प्रकाशित इस शोध के अनुसार:
- पृथ्वी की सतह का सिर्फ 7% हिस्सा द्वीपों के रूप में है, लेकिन यही जगह दुनिया की ज्ञात 12,000 सरीसृप प्रजातियों में से लगभग एक-तिहाई (लगभग 4,000 प्रजातियाँ) का घर है।
- इनमें से करीब 30% द्वीपीय सरीसृप प्रजातियाँ वर्तमान में गंभीर रूप से संकटग्रस्त या विलुप्ति के करीब हैं – जबकि मुख्य भूमि (मेनलैंड) पर यह आँकड़ा सिर्फ 12.1% है।
- यानी द्वीपों की सरीसृप प्रजातियाँ मुख्य भूमि की तुलना में ढाई गुना तेजी से विलुप्ति की ओर बढ़ रही हैं।
फिर भी शोध में भारी उपेक्षा:
1960 से 2021 तक प्रकाशित सभी सरीसृप शोध पत्रों में से महज 6.7% ही द्वीपीय प्रजातियों पर केंद्रित हैं। शेष 93.3% शोध मुख्य भूमि की प्रजातियों पर हुआ है।
अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ. रिकार्डो रोचा (ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी एवं मदीरा विश्वविद्यालय) ने कहा, “सोचिए, अगर आप कोमोडो द्वीप जाएँ और वहाँ कोमोडो ड्रैगन ही न मिले? क्या वह जगह फिर भी वैसी ही लगेगी? ये सरीसृप द्वीपों के पारिस्थितिकी तंत्र की रीढ़ हैं। मेरे गृह द्वीप मदीरा पर दीवार छिपकलियाँ कीट नियंत्रण, परागण और बीज वितरण का महत्वपूर्ण काम करती हैं। अगर ये गायब हो गईं तो पूरा तंत्र ढह जाएगा।”
मुख्य खतरे:
कृषि विस्तार और जंगल कटाई
जंगली बिल्लियों, चूहों जैसी आक्रामक विदेशी प्रजातियाँ (मदीरा में एक अकेली बिल्ली साल भर में औसतन 90+ छिपकलियाँ खा जाती है)
जलवायु परिवर्तन और समुद्र स्तर में वृद्धि
शिकार और अवैध व्यापार
सबसे ज्यादा उपेक्षित क्षेत्र:
इंडो-मलायन क्षेत्र (इंडोनेशिया, फिलीपींस, मलेशिया आदि) दुनिया का सबसे बड़ा द्वीपीय सरीसृप हॉटस्पॉट है, लेकिन शोध के मामले में सबसे पिछड़ा हुआ है। यहाँ सैकड़ों प्रजातियाँ ऐसी हैं जिन पर एक भी वैज्ञानिक पेपर मौजूद नहीं है।
मेडागास्कर अकेला उदाहरण है जहाँ पृथ्वी के सिर्फ 0.4% क्षेत्र में सरीसRIP की 450+ प्रजातियाँ (विश्व की 3.8%) पाई जाती हैं, जिनमें से एक-चौथाई पहले से ही IUCN की संकटग्रस्त सूची में हैं।
