रावी के तट से 30 किलोमीटर दूर अमृतसर के मज्जुपुरा गांव के पास धान के खेतों में बासमती की खुशबू तो आ रही है, लेकिन इस बार किसानों के चेहरों पर मायूसी छाई है। पंजाब में अमृतसर और तरनतारन के आसपास के बाढ़ से बचे क्षेत्रों में मध्य सितंबर से बासमती धान की कटाई शुरू हो चुकी है, लेकिन अगस्त में हुई तीव्र बारिश और बाढ़ ने फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है।
पंजाब में 6.5 लाख हेक्टेयर से अधिक बासमती क्षेत्र में रावी और सतलुज के किनारों पर पूसा 1121 (40%) और पूसा 1509 (25%) किस्मों का प्रभुत्व है। अमृतसर जिला अकेले 1.46 लाख हेक्टेयर (21.75%) बासमती क्षेत्र में योगदान देता है।
मज्जुपुरा गांव में मुख्य रूप से पूसा 1509 किस्म की बासमती की खेती होती है, जो 110-115 दिनों में पककर प्रति एकड़ 20-25 क्विंटल उपज देती है। हालांकि, इस बार बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
मज्जुपुरा के किसान गुन्नूर सिंह बताते हैं कि उनके खेतों में प्रति एकड़ 10-12 क्विंटल का नुकसान हुआ, यानी 50% फसल बर्बाद हो गई। उन्होंने उत्तर प्रदेश से मंगाई गई टैंक कंबाइन हार्वेस्टिंग मशीन से कटाई की, लेकिन अमृतसर मंडी में तीन दिन इंतजार के बाद उनका धान मात्र 2,500 रुपये प्रति क्विंटल बिका, जबकि पिछले साल यह 3,200 रुपये प्रति क्विंटल था।
गुन्नूर ने 20 एकड़ जमीन 70,000 रुपये प्रति एकड़ के किराए पर ली थी, और मंडी में 700 रुपये प्रति क्विंटल कम दाम के साथ आधी फसल के नुकसान ने उन्हें आर्थिक रूप से तोड़ दिया।लाल किला ब्रांड से बासमती का निर्यात करने वाले तेजेंद्र सिंह के अनुसार, पंजाब, जम्मू, उत्तराखंड और हिमाचल में बारिश और बाढ़ से बासमती की फसल को 10-12% नुकसान हुआ है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के बासमती क्षेत्र में भी भारी नुकसान हुआ है, लेकिन निर्यात पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। हालांकि, पंजाब में बासमती का रकबा भी इस बार कम था। अमृतसर की दाना मंडी में पूसा 1509 बेचने आए बलजिंद्र सिंह ने बताया कि उनकी उपज में प्रति एकड़ पांच क्विंटल की कमी आई।
वे सवाल उठाते हैं, “जब रकबा कम है और बाढ़ से नुकसान हुआ है, तो उत्पादन भी कम होगा। फिर मंडी में दाम पिछले साल से 800 रुपये कम क्यों मिल रहे हैं?” केंद्र सरकार ने बाढ़ के आकलन के बाद पंजाब को 1,600 करोड़ रुपये की सहायता और 595 करोड़ रुपये का 50 वर्षीय सॉफ्ट लोन मंजूर किया है, जिसे सार्वजनिक अवसंरचना की मरम्मत के लिए उपयोग किया जाएगा।
हालांकि, किसानों का कहना है कि यह मदद उनके नुकसान की भरपाई के लिए नाकافی है। बाढ़ और कम दामों ने पंजाब के बासमती किसानों को दोहरी मार दी है, जिससे उनकी आजीविका पर गहरा संकट मंडरा रहा है।
