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हैजा का कहर: 2024 में 50% बढ़ी मौतें, 60 देशों में फैला रोग

by kishanchaubey
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में हैजे के मामलों में 5% की वृद्धि दर्ज की गई, जो 2023 के 535,000 से बढ़कर 560,823 हो गए। इस बीमारी से होने वाली मौतों में 50% की वृद्धि हुई, जो 2023 में 4,000 से बढ़कर 2024 में 6,000 से अधिक हो गई।

यह बीमारी, जो दूषित पानी और भोजन से फैलती है, अब 60 देशों में फैल चुकी है, जबकि 2023 में यह 45 देशों तक सीमित थी। विशेषज्ञों का मानना है कि वास्तविक मामले और मौतें इससे कहीं अधिक हो सकती हैं।

हैजा के बढ़ते प्रकोप के कारण

हैजा, विब्रियो कॉलेरी बैक्टीरिया के कारण होने वाली बीमारी, दूषित पानी और भोजन के माध्यम से फैलती है। यह गंभीर दस्त का कारण बनती है, जिससे कुछ ही घंटों में शरीर में पानी की कमी हो सकती है।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, दूषित पानी इस बीमारी के तेजी से फैलने का प्रमुख कारण है। इसके अलावा, संघर्ष, जलवायु परिवर्तन, आबादी का पलायन, और स्वच्छता व पानी की बुनियादी सुविधाओं की कमी ने इस रोग को और बढ़ावा दिया है।

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जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ और सूखे जैसी घटनाएं स्वच्छ पानी की उपलब्धता को और कम कर रही हैं।

60 देशों में फैला हैजा

2024 में हैजा 15 और देशों में फैल गया, जिसमें 15 साल बाद कोमोरोस में भी इसके मामले सामने आए। 98% मामले अफ्रीका, मध्य-पूर्व और एशिया से दर्ज किए गए।

बांग्लादेश, कोमोरोस, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, इथियोपिया, नाइजीरिया, सोमालिया, दक्षिण सूडान, सूडान, तंजानिया, यमन, जाम्बिया और जिम्बाब्वे जैसे 12 देशों में 10,000 से अधिक मामले सामने आए।

सात देशों में पहली बार बड़े पैमाने पर प्रकोप देखा गया। भारत में 2024 में 1,851 मामले दर्ज किए गए, लेकिन कोई मौत नहीं हुई। वहीं, अफ्रीका में मृत्यु दर 2023 के 1.4% से बढ़कर 2024 में 1.9% हो गई।

स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी

रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि हर चार में से एक मौत स्वास्थ्य केंद्रों के बाहर, यानी समुदाय स्तर पर हुई, जो समय पर इलाज की कमी को दर्शाता है। विशेष रूप से अफ्रीकी देशों में जीवनरक्षक दवाओं और उपचार की उपलब्धता में कमी एक बड़ी चुनौती है।

डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि हैजे का वैश्विक खतरा अब “बड़े” स्तर पर पहुंच चुका है।

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