World Dolphin Day 2025: 12 सितंबर को विश्व डॉल्फिन दिवस और भारत में 5 अक्टूबर को राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस मनाया जाता है। ये दिन हमें डॉल्फिन की असाधारण बुद्धिमत्ता, उनकी संवेदनशीलता और उनके सामने मौजूद खतरों की याद दिलाते हैं।
2021 में फैरो द्वीप पर 1,428 डॉल्फिनों के सामूहिक शिकार ने दुनिया को झकझोर दिया था, जिसके बाद विश्व डॉल्फिन दिवस चेतावनी और जागरूकता का प्रतीक बन गया। भारत की गंगा नदी डॉल्फिन, जो देश का राष्ट्रीय जलीय जीव है, भी प्रदूषण, बांध निर्माण और मछली पकड़ने के जालों जैसे खतरों का सामना कर रही है।
डॉल्फिन की असाधारण बुद्धिमत्ता
डॉल्फिन सिटेशियन परिवार का हिस्सा हैं और अपनी बुद्धिमत्ता के लिए जानी जाती हैं। वे औजारों का उपयोग करती हैं, जैसे बॉटलनोज डॉल्फिन समुद्री स्पंज से अपनी थूथन की रक्षा करती हैं।
उनकी इकोलोकेशन तकनीक, जिसे जैविक सोनार कहा जाता है, शिकार और संचार में मदद करती है। डॉल्फिन “नाम जैसी” सीटियों से एक-दूसरे को पहचानती हैं और आईने में खुद को देखकर आत्म-जागरूकता दिखाती हैं। ये गुण उन्हें गैर-मानव व्यक्तित्व का दर्जा देने की वकालत करते हैं।
भारत में गंगा डॉल्फिन
भारत की गंगा नदी डॉल्फिन, जो लगभग अंधी होती है, इकोलोकेशन पर निर्भर रहती है। 2021-2023 के भारतीय वन्यजीव संस्थान के सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में लगभग 6,327 नदी डॉल्फिन बची हैं, जिनमें 6,324 गंगा डॉल्फिन और केवल तीन सिंधु डॉल्फिन हैं।
प्रदूषण, बांध, और मछली पकड़ने के जाल इनके लिए बड़े खतरे हैं। अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) ने इन्हें “लुप्तप्राय” घोषित किया है।
छोटी कोशिश, बड़ा असर
हर व्यक्ति का योगदान मायने रखता है। प्लास्टिक का उपयोग कम करना, जल स्रोतों को साफ रखना और संरक्षण अभियानों का समर्थन डॉल्फिन और समुद्री पर्यावरण को बचाने में मदद कर सकता है। ये दिन हमें याद दिलाते हैं कि डॉल्फिन न केवल प्रकृति की शोभा हैं, बल्कि बुद्धिमत्ता और संवेदनशीलता का प्रतीक भी हैं। अगर अभी कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में ये चंचल जीव केवल किताबों में रह जाएंगे।आइए, विश्व डॉल्फिन दिवस और राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस पर संकल्प लें कि हम डॉल्फिन और उनके पर्यावरण की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
