मधुमेह एक खामोश बीमारी है, जो बिना लक्षणों के शरीर को नुकसान पहुंचाती है। हाल की वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार, 15 साल से अधिक उम्र के 44% मधुमेह रोगियों को अपनी बीमारी का पता ही नहीं है। यह बीमारी धीरे-धीरे दिल, किडनी, आंखों और नसों को नष्ट करती है।
जब तक इसका पता चलता है, तब तक गंभीर क्षति हो चुकी होती है। द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्राइनोलॉजी के अध्ययन के मुताबिक, 91% मरीज दवाइयां लेते हैं, लेकिन केवल 42% ही ब्लड शुगर नियंत्रित रख पाते हैं।
वैश्विक स्तर पर सिर्फ 21% मरीजों का शुगर नियंत्रित रहता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2050 तक मधुमेह रोगियों की संख्या 1.3 अरब हो सकती है। गरीब देशों में जांच की कमी के कारण केवल 20% लोग अपनी बीमारी पहचान पाते हैं।
मधुमेह में खून में शुगर का स्तर बढ़ जाता है, क्योंकि इंसुलिन हार्मोन कम बनता है या ठीक से काम नहीं करता। टाइप-1 में इम्यून सिस्टम इंसुलिन कोशिकाओं को नष्ट करता है, जबकि टाइप-2 में शरीर इंसुलिन का उपयोग नहीं कर पाता।
गर्भकालीन मधुमेह गर्भावस्था में होता है। इलाज न हो तो यह दिल का दौरा, स्ट्रोक, किडनी खराबी या अंधापन पैदा कर सकता है।लक्षणों में बार-बार पेशाब, ज्यादा प्यास, थकान, धुंधली दृष्टि, घाव का देर से भरना और झुनझुनी शामिल हैं।
जांच के लिए फास्टिंग ब्लड शुगर, ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस और एचबीए1सी टेस्ट किए जाते हैं। बचाव के लिए संतुलित आहार, 30 मिनट व्यायाम, वजन नियंत्रण, धूम्रपान-शराब से दूरी और नियमित जांच जरूरी हैं।मधुमेह एक खामोश महामारी है। जागरूकता और शुरुआती जांच ही बचाव का रास्ता है। लक्षण दिखें तो तुरंत ब्लड टेस्ट करवाएं।