सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और आसपास के इलाकों में आवारा कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं पर स्वतः संज्ञान लेते हुए दिल्ली सरकार और नगर निगम से जवाब तलब किया है। अदालत ने बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट पर कोर्ट की चिंता
28 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन शामिल थे, ने टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट ‘शहर आवारा कुत्तों से परेशान, बच्चे चुका रहे कीमत’ पर गंभीर चिंता जताई।
इस रिपोर्ट में बताया गया कि दिल्ली में हर दिन 2,000 लोग कुत्तों के काटने का शिकार बन रहे हैं, और देश भर में औसतन 20,000 मामले दर्ज हो रहे हैं। इन घटनाओं से रेबीज जैसी जानलेवा बीमारी फैल रही है, जिसका सबसे ज्यादा शिकार नवजात, बच्चे और बुजुर्ग हो रहे हैं।
बच्चों पर सबसे ज्यादा खतरा
रिपोर्ट में एक छह साल की बच्ची का जिक्र है, जिसे आवारा कुत्तों ने गंभीर रूप से घायल कर दिया, जिससे उसके पैर, हाथ और हथेली पर गहरे घाव हो गए। स्थानीय लोगों की बार-बार शिकायतों के बावजूद प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। एक अन्य घटना में, 23 जुलाई 2025 को दिल्ली के नरेला, अलीपुर इलाके में चार साल का अभिषेक राय आंगनवाड़ी से लौटते समय कुत्तों के झुंड का शिकार बन गया।
दिल्ली सरकार और नगर निगम को नोटिस
सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि दिल्ली सरकार ने आवारा कुत्तों के पुनर्वास के लिए एक योजना शुरू की है। हालांकि, अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार और नगर निगम को हर हाल में बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। कोर्ट ने दोनों को नोटिस जारी करते हुए 11 अगस्त 2025 तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
कोर्ट का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए दिल्ली सरकार और नगर निगम से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। अदालत ने स्पष्ट किया कि नागरिकों की सुरक्षा पहली प्राथमिकता होनी चाहिए, और इसके लिए प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए।