टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में खुलासा हुआ है कि दुनिया भर में हर सेकंड बिजली गिरने से औसतन 10 से ज्यादा पेड़ नष्ट हो रहे हैं। इसका मतलब है कि हर घंटे 36,526 पेड़ आसमानी बिजली की चपेट में आकर खत्म हो रहे हैं।
इस अध्ययन के अनुसार, हर साल लगभग 32 करोड़ पेड़ केवल बिजली गिरने के कारण मर रहे हैं, जो वैश्विक वनस्पति नुकसान का करीब 2.9 फीसदी है। यह अध्ययन अंतरराष्ट्रीय जर्नल ग्लोबल चेंज बायोलॉजी में प्रकाशित हुआ है।
वैश्विक नुकसान का पहला मॉडल
वैज्ञानिकों ने इस अध्ययन में पहली बार एक ऐसा गणितीय मॉडल विकसित किया है, जो वैश्विक स्तर पर बिजली गिरने से पेड़ों को होने वाले नुकसान का आकलन करता है। पहले के शोध केवल कुछ जंगलों में प्रत्यक्ष निरीक्षण तक सीमित थे, लेकिन इस नए मॉडल में वैश्विक आंकड़ों और बिजली गिरने के पैटर्न को जोड़कर अनुमान लगाया गया है।
इसकी मदद से न केवल यह पता चलता है कि कितने पेड़ हर साल बिजली से मर रहे हैं, बल्कि यह भी समझा जा सकता है कि कौन से क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं और इसका जंगलों की संरचना व कार्बन भंडारण पर क्या असर पड़ रहा है।
कार्बन संतुलन पर गहरा असर
अध्ययन के मुताबिक, बिजली से मरने वाले इन पेड़ों के सड़ने से हर साल वातावरण में करीब 109 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जित हो रही है। यह आंकड़ा जंगल की आग से जीवित पौधों के जलने से होने वाले उत्सर्जन (126 करोड़ टन CO2 प्रति वर्ष) के लगभग बराबर है। यह स्थिति पृथ्वी के कार्बन संतुलन और जलवायु पर गंभीर प्रभाव डाल रही है।
बिजली के नुकसान को समझने की नई तकनीक
वैज्ञानिकों के अनुसार, बिजली गिरने से जंगलों को होने वाला नुकसान अक्सर छिपा रहता है और अब तक इसका व्यवस्थित अध्ययन केवल कुछ क्षेत्रों में ही हुआ था। इस नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि कितने पेड़ बिजली की चपेट में आकर इतनी बुरी तरह प्रभावित होते हैं कि वे अंततः नष्ट हो जाते हैं। यह मॉडल वैश्विक बिजली पैटर्न और वनस्पति के आंकड़ों को जोड़कर तैयार किया गया है।
जलवायु और जंगलों पर बढ़ता खतरा
अध्ययन में यह भी बताया गया है कि यह आंकड़ा उन पेड़ों को शामिल नहीं करता जो जंगल की आग में नष्ट होते हैं। इसका मतलब है कि बिजली गिरने से होने वाला नुकसान वास्तव में सोच से कहीं ज्यादा गंभीर है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ सकती हैं, जिससे जंगलों और कार्बन भंडारण पर और भी बुरा असर पड़ सकता है।
यह अध्ययन न केवल जंगलों के संरक्षण के लिए बल्कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भी महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि यह बिजली गिरने से होने वाले नुकसान को समझने और उसका समाधान खोजने की दिशा में एक नया दृष्टिकोण प्रदान करता है।