भोपाल: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की सेंट्रल बेंच ने भोपाल की ग्रीन बेल्ट में हरियाली को पुनर्जनन देने के लिए महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। ट्रिब्यूनल ने मध्य प्रदेश सरकार, भोपाल नगर निगम (BMC), वन विभाग और लोक निर्माण विभाग को निर्देश दिया है कि जहां-जहां से अतिक्रमण हटाया गया है, वहां ‘सघन वृक्षारोपण’ की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाए।
यह आदेश 3 जुलाई 2025 को पर्यावरणविद Dr. Subhash C. Pandey द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में दिया गया, जिसमें उन्होंने भोपाल शहर के हरित क्षेत्रों, पेड़ों की सुरक्षा और ग्रीन बेल्ट से अतिक्रमण हटाने की मांग की थी।
कैपिटल प्रोजेक्ट फॉरेस्ट की अहमियत और हरियाली में कमी
पर्यावरणविद सुभाष सी पांडे के अनुसार, भोपाल के लोग बेहद भाग्यशाली हैं कि उन्हें कैपिटल प्रोजेक्ट फॉरेस्ट जैसे अद्वितीय वन क्षेत्र का सौभाग्य प्राप्त है। इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 1986 में यूनियन कार्बाइड गैस त्रासदी के बाद वायु प्रदूषण से निपटने और सरकारी जमीन पर अतिक्रमण रोकने के उद्देश्य से की गई थी।
पर्यावरणविद पांडे का कहना है कि शुरुआती वर्षों में इस प्रोजेक्ट ने शानदार कार्य किया और भोपाल को देश के सबसे हरे-भरे शहरों में गिना जाने लगा। हालांकि, उन्होंने चिंता जताई कि 1990 में भोपाल में मौजूद करीब 66 फीसदी हरियाली 2022 तक घटकर महज 6 फीसदी रह गई है। यदि यही रुझान जारी रहा तो 2025 में यह हरियाली 3 फीसदी तक सिमट सकती है।
अतिक्रमण और पेड़ों की कटाई पर चिंता
राजधानी परियोजना वनमंडल भोपाल के वन मंडल अधिकारी (डीएफओ) ने 10 दिसंबर 2021 को भोपाल नगर निगम को पत्र लिखकर 692 से अधिक स्थानों पर अतिक्रमण की जानकारी दी थी और पेड़ों की कटाई रोकने व सार्वजनिक भूमि से अतिक्रमण हटाने की मांग की थी। हालांकि, उस समय अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब भोपाल नगर निगम ने ट्रिब्यूनल को सूचित किया है कि अतिक्रमण हटाने की दिशा में कदम उठाए गए हैं।
एनएचएआई की लापरवाही पर एनजीटी सख्त
एक अन्य मामले में, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को राजमार्ग निर्माण के दौरान पर्यावरणीय नियमों की अनदेखी के लिए जवाब तलब किया है।
ट्रिब्यूनल ने राजस्थान के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), वन विभाग, एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस मामले में अगली सुनवाई 14 अगस्त 2025 को होगी।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि एनएचएआई द्वारा राजमार्गों के निर्माण में पर्यावरणीय नियमों का पालन नहीं किया जा रहा। विशेष रूप से, वृक्षारोपण कार्य तय मानकों के अनुरूप नहीं है। न तो स्थानीय प्रजातियों का ध्यान रखा जा रहा है और न ही कटे हुए पेड़ों की तुलना में पर्याप्त संख्या में पेड़ लगाए जा रहे हैं।
याचिका में आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी का हवाला देते हुए बताया गया कि कुछ स्थानों पर जितने पेड़ काटे गए, उससे कम पेड़ लगाए गए। वहीं, कुछ रिपोर्टों में यह भी दर्ज है कि लगाए गए पेड़ों से ज्यादा ‘जीवित’ पेड़ पाए गए, जो आंकड़ों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है।
पर्यावरणीय नीतियों का पालन जरूरी
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की गाइडलाइनों के अनुसार, राजमार्ग विकास से पेड़-पौधों की क्षति होना तय है, लेकिन इसकी भरपाई के लिए ‘कॉरिडोर डेवलपमेंट एंड मैनेजमेंट’ नीति के तहत पौधारोपण, स्थानांतरण, सौंदर्यीकरण और रख-रखाव की जिम्मेदारी एजेंसियों की होती है। याचिका में मांग की गई है कि एनएचएआई को जवाबदेह ठहराया जाए और वृक्षों की कटाई व पुनः रोपण में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
आगे की राह
एनजीटी के इस आदेश से भोपाल की ग्रीन बेल्ट में हरियाली को पुनर्जनन करने की उम्मीद जगी है। साथ ही, एनएचएआई को पर्यावरणीय नियमों के पालन के लिए जवाबदेह बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। पर्यावरणविदों और स्थानीय नागरिकों को उम्मीद है कि इन प्रयासों से भोपाल फिर से हरा-भरा होगा और देश के सबसे स्वच्छ शहरों में अपनी पहचान बनाए रखेगा।