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अगर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर रोक नहीं लगाई गई, तो 2100 तक 68% समशीतोष्ण वर्षावनों (Temperate Rainforests) के खत्म होने का खतरा है। यह खुलासा यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स, यूके के शोधकर्ताओं ने किया है।
शोध के मुताबिक, कुछ क्षेत्रों में यह नुकसान 90% तक हो सकता है। हालांकि, अगर ग्लोबल वार्मिंग को 2°C से नीचे रोका जाए, तो नुकसान 9% तक सीमित किया जा सकता है।
समशीतोष्ण वर्षावनों का महत्व:
- ये दुर्लभ पारिस्थितिकी तंत्र हैं, जो ठंडे और नम इलाकों में पाए जाते हैं।
- इनमें विशिष्ट वनस्पति और जीव-जंतु होते हैं।
- ये कार्बन संग्रहण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में सहायक है।
प्रमुख निष्कर्ष:
- क्षेत्र और महत्व:
- समशीतोष्ण वर्षावन दुनिया की ज़मीनी सतह का केवल 1% कवर करते हैं।
- इनका वैश्विक वन क्षेत्र में योगदान 2.5% है।
- इनमें कार्बन की घनत्व अन्य वनों की तुलना में अधिक है।
- प्रमुख देश: कनाडा, अमेरिका, चिली, जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और यूके।
- अब तक का नुकसान:
- पहले ही 43% क्षेत्रफल वनों की कटाई से खत्म हो चुका है।
- केवल 37% पुराने प्राकृतिक वन ही बचे हैं।
- यूरोप में समशीतोष्ण वर्षावन लगभग खत्म हो चुके हैं।
- जलवायु परिवर्तन का प्रभाव:
- उच्च तापमान और सूखे जैसी स्थितियां इन वनों के लिए खतरनाक हैं।
- खंडित और किनारे पर स्थित वन जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक संवेदनशील हैं।
- शोध में यह भी पाया गया कि चरम घटनाएं (जैसे भूस्खलन, हीटवेव, और तूफान) इन वनों के विलुप्त होने की प्रक्रिया को तेज कर सकती हैं।
क्या हो सकता है समाधान?
- इन वनों की सुरक्षा और पुनर्स्थापना करना अनिवार्य है।
- intact (संपूर्ण) वनों का माइक्रोक्लाइमेट आसपास के तापमान की तुलना में ठंडा रहता है, जिससे जलवायु प्रभाव कम हो सकते हैं।
- स्थायी नीतियां और वैश्विक सहयोग के माध्यम से ही इन वनों को बचाया जा सकता है।
निष्कर्ष:
समशीतोष्ण वर्षावन जलवायु संतुलन बनाए रखने और पृथ्वी की जैव विविधता को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण हैं। अगर तुरंत कार्रवाई नहीं की गई, तो इनका बड़ा हिस्सा इतिहास बन जाएगा।