पंजाब के कृषि और किसान कल्याण मंत्री, गुरमीत सिंह खुड़ियां ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस साल राज्य में पराली जलाने के मामलों में 68% की कमी आई है। 3 नवंबर 2022 तक पराली जलाने के मामले 12,813 थे, जबकि इस साल ये संख्या घटकर 4,132 पर आ गई है। मंत्री के अनुसार, यह राज्य सरकार और किसानों के प्रयासों का नतीजा है।
मंत्री ने बताया कि पंजाब सरकार किसानों को पराली प्रबंधन के आधुनिक साधनों से लैस करने के लिए काम कर रही है। इस साल अब तक 21,958 फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनें स्वीकृत की गई हैं। किसानों ने इनमें से 14,587 मशीनें खरीद ली हैं, जिससे 2018 से अब तक कुल 1.45 लाख मशीनें खरीदी जा चुकी हैं। इस साल किसानों में सबसे अधिक मांग सुपर सीडर मशीन की रही, इसके बाद ज़ीरो टिल ड्रिल, आरएमबी हल, बैलर और रेक मशीनों का उपयोग बढ़ा है।
छोटे और सीमांत किसानों की मदद के लिए राज्यभर में अब तक 620 कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) खोले गए हैं ताकि वे आसानी से इन मशीनों का लाभ ले सकें।
इसके अलावा, सरकार ने किसानों को सब्सिडी भी दी है। व्यक्तिगत किसानों को सीआरएम उपकरण पर 50% तक की सब्सिडी मिल रही है, जबकि सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और पंचायतों को 80% तक सब्सिडी मिल रही है।
पर्यावरण पर प्रभाव:
पराली जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है और यह पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचाता है। पराली जलाने से निकलने वाले धुएं में हानिकारक गैसें होती हैं, जो हवा की गुणवत्ता को खराब कर देती हैं। इस प्रयास से न केवल वायु प्रदूषण में कमी आई है बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता भी बनी रहेगी, जिससे कृषि उत्पादकता में भी सुधार होगा।