विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ के 15 जुलाई 2025 को जारी राष्ट्रीय टीकाकरण कवरेज के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में 1.43 करोड़ बच्चों को कोई टीका नहीं मिला। इनमें से आधे से अधिक नौ देशों—नाइजीरिया, भारत, सूडान, कांगो, इथियोपिया, इंडोनेशिया, यमन, अफगानिस्तान और अंगोला—में रहते हैं। यह संख्या टीकाकरण एजेंडा 2030 के लक्ष्य से 40 लाख और 2019 की तुलना में 14 लाख अधिक है।
2024 में 89% शिशुओं (11.5 करोड़) को डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस (DTP) की पहली खुराक मिली, जो 2023 के बराबर है। 85% (10.9 करोड़) ने तीन खुराकें पूरी कीं, जो 2023 में 84% थी। खसरे की पहली खुराक 84% और दूसरी 76% बच्चों को मिली, जो प्रकोप रोकने के लिए आवश्यक 95% से कम है। इससे 3 करोड़ बच्चे खसरे से असुरक्षित हैं।
खसरे के मामले बढ़ रहे हैं। 2024 में यूरोप में 1,25,000 मामले दर्ज हुए, जो 2023 से दोगुने हैं। अमेरिका में तीन दशकों में सबसे खराब प्रकोप देखा गया। प्रकोप वाले देशों की संख्या 2022 के 33 से बढ़कर 2024 में 60 हो गई।संघर्ष और मानवीय संकट टीकाकरण को बाधित कर रहे हैं। 26 नाजुक देशों में एक-चौथाई शिशु रहते हैं, जो टीकाकरण से वंचित बच्चों का आधा हिस्सा हैं।
इन देशों में वंचित बच्चों की संख्या 2019 के 36 लाख से बढ़कर 2024 में 54 लाख हो गई। 2025 में अंतरराष्ट्रीय सहायता में कटौती ने स्थिति को और जटिल किया।उच्च-मध्यम और उच्च-आय वाले देशों में टीकाकरण कवरेज में गिरावट आई है। 2019 में 90% से अधिक कवरेज वाले 22 देशों में कमी दर्ज की गई।
गावी द्वारा समर्थित 57 निम्न-आय वाले देशों में कवरेज सुधरा, जिससे 6,50,000 कम बच्चे वंचित रहे।धन की कमी, अस्थिरता, और गलत जानकारी प्रगति को धीमा कर रही है, जिससे टीकों से रोके जा सकने वाली बीमारियों और मौतों का खतरा बढ़ रहा है। वैश्विक सहयोग से सभी बच्चों तक टीकों की पहुंच सुनिश्चित करना जरूरी है।