नई दिल्ली: दिल्ली की वायु गुणवत्ता लगातार ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी हुई है। बुधवार सुबह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 301 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है।
दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में AQI का हाल
विभिन्न स्थानों पर AQI में उतार-चढ़ाव देखा गया:
- लोधी रोड: 254 (‘खराब’)
- आईजीआई एयरपोर्ट (T3): 298 (‘बहुत खराब’)
- ओखला फेज: 298
- डीटीयू: 250
- पुसा: 281
हालांकि, कई स्थानों पर AQI ‘गंभीर’ स्तर पर पहुंच गया:
- अशोक विहार: 316
- आनंद विहार: 311
- आईटीओ: 316
- वज़ीरपुर: 331
- विवेक विहार: 318
- शादीपुर: 375
प्रदूषण का असर
इंडिया गेट और उसके आसपास घना स्मॉग छाया रहा, जिससे दृश्यता बहुत कम हो गई। लोग ऊंची इमारतें तक नहीं देख पा रहे हैं। यह प्रदूषण लोगों की सेहत पर गहरा असर डाल रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस प्रदूषण से श्वसन तंत्र, हृदय रोग, और आंखों में जलन जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
स्थानीय नागरिकों की राय
एक स्थानीय निवासी ने बताया, “गाड़ियों का उपयोग कम से कम होना चाहिए। इस मौसम में पैदल चलना और साइकिलिंग बेहतर विकल्प हैं। बच्चों और बुजुर्गों को प्रदूषण से बचाना जरूरी है, और स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखी जानी चाहिए। निर्माण कार्य पर भी रोक लगनी चाहिए।”
सरकार की कार्रवाई
कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) के निर्देश के बाद, दिल्ली सरकार ने सभी स्कूलों को ‘हाइब्रिड’ मोड (ऑनलाइन और फिजिकल) में कक्षाएं संचालित करने का आदेश दिया है। NCR क्षेत्र के गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर में भी यही नियम लागू होगा।
दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने सभी सरकारी, प्राइवेट और स्थानीय निकाय के स्कूलों को तुरंत प्रभाव से हाइब्रिड मोड अपनाने का निर्देश दिया है। यह आदेश तब तक लागू रहेगा जब तक आगे कोई निर्देश जारी नहीं होता।
पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव
- पर्यावरण पर प्रभाव:
- धुंध और प्रदूषण के कारण सूर्य की रोशनी कम हो रही है, जिससे पेड़-पौधों का विकास प्रभावित हो रहा है।
- गाड़ियों और निर्माण कार्य से निकले प्रदूषक तत्व पर्यावरण को और नुकसान पहुंचा रहे हैं।
- स्वास्थ्य पर प्रभाव:
- वायु प्रदूषण से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, और फेफड़ों की बीमारियां बढ़ रही हैं।
- दिल के मरीजों और बुजुर्गों के लिए यह स्थिति बेहद खतरनाक है।
- बच्चों में इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है और उन्हें सांस संबंधी बीमारियां हो सकती हैं।
सरकार और नागरिकों को मिलकर प्रदूषण नियंत्रण के लिए कदम उठाने की सख्त जरूरत है।